नियमो को ताक पर रख कर खोल दिया गया सील हॉस्पिटल

बस्ती। योगी सरकार की जीरो टेलरेंश नीति की लीपा – पोती की भेट चढ़ रही है। स्वास्थ्य विभाग के नित्य नए कारनामे सामने आ रहे है।
नया मामला बस्ती शहर के बैरिहवां मे संचालित डीआरएमएस न्यूरो एण्ड स्पाइन हास्पिटल का है । हॉस्पिटल में व्याप्त अनियमितताओं एवं धोखाधडी की शिकायत पर जांच अधिकारी मुख्य राजस्व अधिकारी नीता यादव के निर्देश पर गत दिनों एसीएमओ डा0 सी.एल. कन्नौजिया एवं प्रशासन की टीम द्वारा सील कर अस्पताल के प्रन्धक डा0 प्रमोद कुमार से एक सप्ताह मे जबाब मांगा था।
उस समय एसीएमओ डा0 सी.एल. कन्नौजिया ने बताया था कि डीआरएमएस न्यूरो एण्ड स्पाइन हास्पिटल मे गंभीर खामियां पाये जाने के वजह से सील किया गया था।
लेकिन सातवे दिन आननःफानन मे डीआरएमएस न्यूरो एण्ड स्पाइन हास्पिटल का दुबारा खोल दिया गया। यहां भ्रष्टाचार की आंच ने सारी गंभीर खामियों को सही बना कर जिला प्रशासन व स्वास्थ्य प्रशासन स्वंय कठघरे मे खडा हो गया। जबकि यदि नियमों पर गौर किया जाये तो उक्त हास्पिटल का संचालन ही अवैध है।
डीआरएमएस न्यूरो एण्ड स्पाइन हास्पिटल के संचालक प्रबन्धक डा0 प्रमोद कुमार एक समान्य एमबीबीएस होते हुए न्यूरो एण्ड स्पाइन का डाक्टर होने का दावा पेश किया था जो फेलोशिप के आधार पर कुछ प्रमाणपत्र जांच अधिकारी के समक्ष प्रस्तूुत किये गये थे जो अमान्य पाये गये।उक्त हास्पिटल मे जांच के लिए ऐसी मशीनें लगाई गयी है जिसे प्रयोग करने के लिए न्यूरो विशेषज्ञ की आवश्यकता होती हैं। हॉस्पिटल को न्यूरो लैब बताया गया लेकिन कोई न्यूरो स्पेशलिस्ट नही है।
इतना ही नही अस्पताल का संचालक व प्रबन्धक डा0 प्रमोद कुमार सरकारी चिकित्सक हैं जिनकी तैनाती सिद्वार्थनगर जिले के मिठवल अस्पताल पर है लेकिन उन्होेने शासन को अंधेरे मे रखकर कथित तौर पर इस्तीफा देकर पहले डा0 राहुल राज अब अपने नाम से सीएमओ आफिस मे अस्पताल का पंजीकरण करने मे सफल रहा है। जबकि उनका स्तीफा अभी संदिग्ध है।
शिकायतकर्ता की माने तो अभी तक डा0 प्रमोद कुमार का त्याग पत्र शासन स्तर से स्वीकार नही किया गया। डॉक्टर के प्रतिनिधि की माने तो डॉक्टर साहब दो बार त्यागपत्र दे चुके है।
उपरोक्त डा0 प्रमोद कुमार द्वारा अस्पताल के पंजीकरण मे विरोधाभासी प्रमाण पत्र का प्रयोग किया गया हैं जिसे नजरअन्दाज करते हुए जिम्मेदारों द्वारा हस्पिटल का पंजीकरण कर दिया गया। ऐसे दर्जनों खामियां मौजूद होने के बाद भी घूस के बल पर रेवडी की तरह स्वास्थ्य विभाग लाइसेंस बांट रहा है। जिसकी अनदेखी किसी भी दशा मे नही की जा सकती।
इस सम्बन्ध मे जांच अधिकारी मुख्य राजस्व अधिकारी नीता यादव ने कहा कि उक्त चिकित्सालय के विरूद्व कार्यवाही करने का दायित्व स्वास्थ्य विभाग का है उन्हें गुणदोष के आधार पर कार्यवाही करने के निर्देश दिया गया था।
स्वास्थ्य विभाग के इस कारनामे पर तमाम सारे प्रश्न उठ रहे है जिसका जबाब अभी बाकी है।
1- जांच के दौरान उसी हॉस्पिटल का नया रजिस्ट्रेशन कैसे हो गया ?
2- नए हॉस्पिटल की सारी एनओसी कैसे एक रात में मिल गई?
तीसरा प्रश्न उठता है जब आप एक बार डॉक्टर फर्जीवाड़ा करते पाए गए उनको निर्दोष मान कर उन्ही के नाम पर रजिस्ट्रेशन कैसे मिला?
जो हॉस्पिटल फर्जीवाड़े में सील हुआ दूसरे के नाम कैसे ट्रांसफर हो गया?
हॉस्पिटल के अग्निशमन और प्रदूषण आदि की एनओसी भी संदिग्ध बताई जा रही है।
आपको बता दे की इस विषय पर जब डॉक्टर प्रमोद से उनके द्वारा जारी विज्ञप्ति में जारी नंबर पर संपर्क किया गया तो नंबर किसी हरि ओम श्रीवास्तव का निकला जो डॉक्टर प्रमोद की जगह धमकाने वाले अंदाज में बात कर रहे थे। डॉक्टर प्रमोद के नाम से मीडिया में जारी करवाई गई विज्ञप्ति में दिया गया नंबर 9670947940 किसी और का है।
वहीं शिकायतकर्ता चित्रसेन पाण्डेय ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग मे व्याप्त भ्रष्टाचार और विभाग के नियम विरोधी कार्यवाहियों के विरूद्व हाईकोर्ट जायेंगे।

