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मानसिक स्वास्थ्य को लंबे समय तक स्वस्थ रखने के लिए दूसरों की मदद करते रहना चाहिए-सीएमओ

बस्ती।आज दिनांक आज शनिवार को विश्व सुसाइड प्रीवेंशन डे के उपलक्ष में बस्ती की मानसिक विभाग की टीम द्वारा कोविड-19 को ध्यान में रखते हुए ANM TC centre में गोष्ठी और हस्ताक्षर अभियान कराया गया इस गोष्ठी की अध्यक्षता अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर ए के गुप्ता एवं नोडल अधिकारी डॉ एसबी सिंह द्वारा किया गया अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा इस वर्ष की सुसाइड प्रीवेंशन डे की थीम पर चर्चा करते हुए लोगों को बताया कि जब हम दूसरों की मदद करते हैं उनकी खुशियां लंबे समय तक रहरी है मानसिक स्वास्थ्य को लंबे समय तक स्वस्थ रखने के लिए दूसरों की मदद करते रहना चाहिए दूसरों की मदद करने से खुद और उसकी मनोदशा में काफी सुधार होता।

कार्यक्रम के नोडल अधिकारी द्वारा लोगों को संबोधित करते हुए World Suicide Prevention Day 2022: क्यों मनाया जाता है विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस?
10 सितंबर को हर साल विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस मनाया जाता है।
दुनियाभर में आत्महत्याओं को रोकने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के सहयोग से हर साल 10 सितंबर को विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस मनाया जाता है। हर साल इस दिवस को मनाने के लिए इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर सुसाइड प्रिवेंशन (IASP) 60 से अधिक देशों में कार्यक्रम आयोजित करता है। विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस इसलिए भी मनाया जाता है क्योंकि विश्व में तेजी से बढ़ती आत्महत्या की प्रवृत्ति पर रोक लग सके।
राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के मनोचिकित्सक डॉक्टर अनिल कुमार दुबे लोगों को जागरूक करते हुए बताया की विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार हर साल लगभग 800,000 लोग आत्महत्या के कारण अपना जीवन समाप्त कर देते हैं। यानी दुनिया के किसी न किसी हिस्से में हर 40 सेकेंड में एक व्यक्ति आत्महत्या करता है। ज्यादातर सुसाइड के मामले 15 से 29 साल के लोगों में सामने आते हैं। इसके अलावा इनमें से अधिकांश आत्महत्या के मामले अविकसित और विकासशील देशों से सामने आते हैं। विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस की शुरुआत इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर सुसाइड प्रिवेंशन (IASP) ने 2003 में की थी। यह दिन वर्ल्ड फेडरेशन फॉर मेंटल हेल्थ (WMFH) एंड वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) द्वारा प्रायोजित किया जाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य आत्महत्या करने वाले व्यक्ति के व्यवहार पर शोध करना, जागरुकता फैलाना और डेटा एकत्र करना होता हैं। ये संगठन आत्महत्या को कैसे रोका जाए और इस बारे में कैसे जागरूकता बढ़ाई जाए, इस बारे में दुनियाभर में कई कार्यक्रम करते हैं।
राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के साइकेट्रिक सोशल वर्कर डॉ राकेश कुमार ने भी लोगों को बताया कि इस बार World Suicide Prevention Day 2022 की थीम ‘Creating hope Through Action’ यानी लोगो के बीच अपने काम के जरिए उम्मीद पैदा करने का है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार इस थीम के जरिए हम आत्महत्या का विचार रखने वाले लोगों को ये संदेश देना चाहता है कि उन्हें उम्मीद नहीं छोड़नी है। हम छोटी-बड़ी जैसी भी संभव हो, मदद के जरिए ऐसे व्यक्ति के जीवन में थोड़ी उम्मीद भर सकें।सुसाइड या आत्महत्या का ख्याल किसी व्यक्ति में अचानक नहीं आता है। जब व्यक्ति बहुत परेशान होता है या बहुत निऱाश रहता है, तो उसके आसपास मौजूद लोगों की जिम्मेदारी होती है, वो उसको इमोशनल, मेंटल या फिजिकल जैसी जरूरत हो, सपोर्ट करें, ताकि व्यक्ति खुद को अकेला न महसूस करे। इस विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस पर ओनलीमायहेल्थ भी अपने पाठकों से निवेदन करता है कि जीवन में निराशा या परेशानी आने पर लोगों से बात करें और समस्या को सुलझाने का प्रयास करें। भारत सरकार ने अगस्त 2020 में एक मेंटल हेल्थ रिहैबिलिटेशन हेल्पलाइन नंबर जारी किया था, जिसपर कॉल करके आप ऐसी स्थिति में मदद या काउंसलिंग की मांग कर सकते हैं। जिले में चल रहे मानसिक इकाई के बारे में कार्यक्रम के उद्देश्यों के बारे में जागरूक करते हुए लोगों को बताया की राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम स्थापना बस्ती जिले में 2016 में की गई थी और इस कार्यक्रम की ओपीडी सप्ताह में 3 दिन सोमवार ,बुधवार और शुक्रवार को चलती है बाकी के 3 दिन जागरूकता हेतु सीएससी पीएससी और स्कूल का भ्रमण किया जाता है।
एन.सी.डी. कार्यक्रम के प्रभारी जिला कार्यक्रम अधिकारी, आनंद गौरव शुक्ला ने लोगों को संबोधित करते हुए। आत्महत्या जैसे बुरे ख्याल से निपटने के लिए क्या करें?
सुसाइड करना कभी भी किसी समस्या का सही समाधान नहीं होता. सुसाइड करना कभी भी किसी समस्या का सही समाधान नहीं होता. खुद को नुकसान पहुंचना या खत्म करने जैसा महसूस करना कोई चरित्र दोष नहीं है और न ही इसका मतलब यह है कि आप पागल या कमजोर हैं. अगर आपके मन में आत्महत्या जैसे विचार आ रहे हैं और आप उस पर नियंत्रण नहीं कर पा रहे हैं, तो तुरंत मेडिकल हेल्प लें.
सामुदायिक सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी फरजाना द्वारा लोगों को बताया गया की सुसाइड का विचार आने पर इन तरीकों से लक्षण पहचान बचा सकते हैं किसी की जान
आत्महत्या जैसे विचार से निपटना ,याद रखें कि समस्याएं अस्थायी होती हैं लेकिन आत्महत्या स्थायी होती है. अपनी खुद की जान लेना कभी भी सही समाधान नहीं होता है. परिस्थितियों को बदलने और दर्द कम होने के लिए खुद को समय दें. इस बीच, जब भी आप के मन में आत्महत्या का विचार आए, तो आपको इन्हें रोकने के लिए अहम कदम उठाने चाहिए.
घातक चीजों को अपने से दूर करें
अगर आपको लगता है कि आपके मन में आत्महत्या (सुसाइड) जैसे विचार आ रहे हैं, या आ सकते हैं. और आपको चिंता है कि कहीं आप कुछ ऐसा न कर गुजरें, तो सबसे पहले ये करें कि अपने आसपास से किसी भी फायरआर्म (पिस्टल-गन), चाकू, या खतरनाक दवाओं को हटा दें. पूरी कोशिश होनी चाहिए कि ऐसी चीजों की आप तक पहुंच न हो.

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निर्देशानुसार दवाएं लें कुछ एंटी डिप्रेशन दवाएं आत्महत्या के विचार के रिस्क को बढ़ा सकती हैं, खासकर जब आप उन्हें पहली बार लेना शुरू करते हैं. इसलिए जब तक आपका डॉक्टर आपको ऐसा करने के लिए न कहे, तब तक आपको अपनी दवाएं लेना बंद नहीं करना चाहिए और न ही अपनी खुराक में किसी तरह का कोई बदलाव करना चाहिए. यदि आप अचानक अपनी दवाएं लेना बंद कर देते हैं तो आपकी आत्महत्या की भावनाएं और भी बदतर हो सकती हैं.

आप विड्राल सिम्टम मतलब सब कुछ छोड़ देने का भी अनुभव कर सकते हैं. यदि आप वर्तमान में जो दवा ले रहे हैं, उससे आपको कोई साइड इफेक्ट हो रहा है तो अपने डॉक्टर से उसके विकल्प के बारे में बात करें.

ड्रग्स और शराब से बचें
मुश्किल समय के दौरान ड्रग्स या शराब की ओर रुख करना लुभावना हो सकता है. हालांकि, ऐसा करने से आत्महत्या के विचार और भी बदतर हो सकते हैं. जब आप निराश महसूस कर रहे हों या आत्महत्या के बारे में सोच रहे हों, तो ऐसी चीजों को लेने से बचना ही सबसे जरूरी है. गैर संचारी रोगों जैसे हाइपरटेंशन शुगर कैंसर अन्य कार्यक्रमों के बारे में बाद में जानकारी दी कार्यक्रम के सफल संचालन हेतु कार्यक्रम की साइकेट्रिक नर्स नीलम शुक्ला कम्युनिटी नर्स सत्य मिश्रा संजय पटेल निधि राव , अंकित सिंह, रमाकांत पाठक एवं समस्त सी एच ओ आदि लोग उपस्थित रहे।

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