उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट 4 जनवरी को सुनवाई

उत्तर प्रदेश । यूपी नगर निकाय चुनाव का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है । प्रदेश सरकार की याचिका पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने चार जनवरी की तारीख दी है। शहरी स्थानीय निकाय चुनावों पर यूपी सरकार ने मसौदा अधिसूचना को रद्द करने और अन्य के लिए आरक्षण के बिना चुनाव कराने के निर्देश को रद्द करने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी।
उत्तर प्रदेश सरकार की अपील पर चार जनवरी को सुनवाई करने पर सुप्रीम कोर्ट सोमवार को सहमत हो गया।
राज्य सरकार की दलील तत्काल सुनवाई की जरूरत
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ ने राज्य सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलीलों पर ध्यान दिया और कहा कि इस मामले में तत्काल सुनवाई की जरूरत है।
आपको बता दे की सरकार ने 5 दिसंबर को नगर निगम , नगरपालिका और नगर पंचायतों के लिए आरक्षण की घोषणा की थी, इसमें 17 नगर निगम, 200 नगरपालिका और 545 नगर पंचायतों के लिए चुनाव होना था। हालांकि हाईकोर्ट ने रैपिड टेस्ट के आधार पर आऱक्षण की दलील को खारिज करते हुए कहा कि सरकार ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया का पालन करते हुए 31 जनवरी तक चुनाव कराए।
सरकार ने जो पांच सदस्यीय आयोग गठित किया है, उसकी पहली बैठक भी हो चुकी है। आयोग का कहना है कि वो ढाई से तीन महीने में रिपोर्ट सौंप सकता है और पूरी प्रक्रिया के पालन में 6 माह का समय लग सकता है।
ऐसे में जून-जुलाई से पहले चुनाव के आसार नहीं लग रहे हैं। हालांकि सरकार को उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट उसकी दलीलों को तर्कसंगत मानकर रैपिड टेस्ट के आधार पर ही स्थानीय निकाय चुनाव कराने की इजाजत दे सकता है।

