Saturday, August 16, 2025
आस्था

कुतिया महारानी माता का मंदिर ,प्रकृति,पशु प्रेम की अनूठी मिसाल

प्रकृति और पशु प्रेम की अनूठी मिसाल

हिंदू धर्म में प्रत्येक प्राकृतिक चीज़ों को भगवान से जोड़कर ही देखा जाता है। अब चाहे इसमें हवा हो, पानी हो, जानवर हो या फिर हम खुद इंसान हों।भारत के सनातन हिंदू धर्म में पशु और प्रकृति की पूजा पुरानी है।

आज हम आपको एक ऐसी कहानी लेकर आए है, जिसे सुनने के बाद आपको थोड़ा अजीब तो लगेगा लेकिन सच है।

बात उत्तर भारत के झांसी के एक गांव में कुतिया महारानी माता की पूजा की जाती है।

यहां के ककवारा गांव में रहने वाले सभी लोग कुतिया महारानी की पूरी श्रद्धा के साथ पूजा-अर्चना करते हैं। यहां एक छोटा सा मंदिर दो गांवों के बॉर्डर पर बनाया गया है।

क्या है कहानी

गांव के इस मंदिर की स्थापना के पीछे लोगों ने बताया कि कई साल पहले यहां एक कुतिया की मौत हो गई थी। जिसे मंदिर वाली जगह पर ही दफना दिया गया था। लेकिन कुछ समय बाद यहां एक बड़ा पत्थर बन गया। जिसके बाद गांव के लोगों ने पत्थर के ऊपर एक कुतिया की प्रतिमा बनाकर इसके ऊपर लगवा दिया और पूजा करना शुरु कर दिया।

मनौतियां होती है पूरी

गांव वालों की मानें तो कुतिया महारानी अपने सभी भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। गांव वाले बताते हैं कि इस कुतिया की मौत भूख की वजह से हुई थी। इसके अलावा वह काफी दिनों से बीमार भी थी।

ग्रामीणों के अनुसार रेवन और ककवारा दोनों गांवों में जब भी भोज का आयोजन होता था तो उससे पहले बुंदेलखंडी लोक संगीत का एक वाद्य यंत्र रमतूला बजाया जाता था। जिसकी आवाज सुनकर दोनों गांवों के ग्रामीण पंगत में खाना खाने के लिए पहुंच जाते थे। साथ ही कुतिया भी रमतूला की आवाज सुनकर पहुंच जाती थी।

एक बार ककवारा और रेवन दोनों गांवों में भोज का आयोजन किया गया था। लिहाजा कुतिया को भी दोनों जगहों पर जाना था, लेकिन वह बीमार थी। ककवारा के रमतूला की आवाज सुनकर वह बीमार अवस्था में ककवारा पहुंची।लेकिन दूरी अधिक होने से जब वह पहुंची तब तक पंगत खत्म हो चुकी थी। बीमार की वजह से वह थक गई थी इसलिए कुछ देर आराम करने के लिए रुक गई। तभी रेवन गांव का रमतूला बजा। कुतिया दौड़कर रेवन पहुंची, लेकिन तब तक वहां भी पंगत खत्म हो गई।

इन दोनों गांवों को आपस में जोड़ने वाले लिंक रोड के बीच सड़क किनारे एक चबूतरा बना है। इस चबूतरे पर एक छोटा सा मंदिरनुमा मठ बना हुआ है। इस मंदिर में काली कुतिया की मूर्ति स्थापित है। मूर्ति के बाहर लोहे की जालियां लगाई गई हैं, ताकि कोई इस मूर्ति को नुकसान न पहुंचा सके।

इस मंदिर पर आसपास के गांवों की महिलाएं प्रतिदिन जल चढ़ाने आती हैं और यहां पूजा-अर्चना कर अपने परिवार की खुशहाली का आशीर्वाद मांगती हैं। वैसे तो आबादी से दूर यह छोटा सा मंदिर सुनसान सड़क पर बना है।

मगर यहां के लोगों की कुतिया महारानी के प्रति अपार श्रद्धा है। ग्रामीणों के मुताबिक, कुतिया का यह मंदिर उनकी आस्था का केंद्र है।

श्रद्धालु यहां सुख-समृद्धि व परिवार एवं फसलों की खुशहाली की मन्नतें मांगते हैं। झांसी के मऊरानीपुर के गांव रेवन व ककवारा के बीच लगभग तीन किलोमीटर का फासला है।