Tuesday, July 15, 2025
ज्योतिष और धर्म

खरना से शुरू होगया है भगवान मार्तण्ड को प्रसन्न करने का व्रत

छठ महापर्व  :- 

भगवानभास्कर को प्रसन्न करने का सर्वसिद्ध व्रत छठ की शुरुआत 8 नवम्बर से नहाय खाय के साथ हो चुकी है।तीन दिन चलने वाला यह व्रत व्रतियों को सर्व सिद्धि प्रदान करने वाला होता है।

दूसरा दिन खरना होता है और तीसरे अंतिम दिन सूर्य देव को अर्घ्य देने के साथ ही व्रत का समापन होता है।

नहाय खाय में पूजा की सामग्री को एक जगह एकत्रित किया जाता है। इस दिन मुख्य रूप से लौकी की सब्जी और चने की दाल खाने की रीत होती है। अब 9 नवंबर,मंगलवार को खरना का दिन है। खरना की पूजा कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को की जाती है।


ज्योतिशास्त्र में छठ महापर्व में खरना का विशेष महत्व बताया गया है। धार्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से खरना के प्रसाद का महत्व और बढ़ जाता है। ऐसी मान्यता है कि जो लोग खरना का प्रसाद ग्रहण करते हैं, उनमें सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यही कारण है कि खरना का प्रसाद सबसे पहले भगवान को चढ़ाया जाता है और फिर लोगों में वितरित किया जाता है। इस दिन लोग एक दूसरे के घर खरना का प्रसाद खाने जाते हैं। खरना का प्रसाद ग्रहण करना बहुत शुभ माना जाता है।

आइए जानते हैं खरना के प्रसाद के महत्व और बनाने की विधि –

1. खरना के प्रसाद में गुड़ से बनी खीर और रोटी शामिल होती है। ये खीर अरवा चावल, गाय के शद्ध दूध और गुड़ से बनी होती है। वहीं रोटी के लिए गेंहू का आटा ही इस्तेमाल किया जाता है।
2. खरना का प्रसाद बनाने के लिए आम की लकड़ी और गोबर के उपले (गोइठा) से बना मिट्टी का चूल्हा उपयोग करते हैं।
हालांकि शहरी इलाकों में क्यूंकि मिट्टी का चूल्हा मिलना थोड़ा मुश्किल होता है,इसीलिए लोग प्रसाद बनाने के लिए नए गैस चूल्हे का इस्तेमाल करते हैं। आप जिस भी गैस चूल्हे पर प्रसाद चढ़ा रहे हैं वो पवित्र होना चाहिए।

3. जब व्रती खरना का प्रसाद ग्रहण कर लेती हैं तब उनका निर्जला व्रत शुरू हो जाता है। ये व्रत अगले 36 घंटों तक चलता है।
मान्यता है कि खरना का प्रसाद ग्रहण करने से व्रतियों के शरीर में संयम, उदारता, संकल्पों की दृढ़ता, तेजस्विता और ऊर्जा का संचार होता है।

5. ज्योतिषियों के अनुसार कोई भी बड़ा व्रत जैसे तीज, जिवितपुत्रिका धारण करने से पहले व्रतियां एकभुक्त की परंपरा करती हैं।एकभुक्त का मतलब होता है एक समय प्रसाद ग्रहण करना। एकभुक्त हो जाने के बाद 24 घंटे का उपवास शुरू हो जाता है। छठ महापर्व में एकभुक्त का काफी महत्व रहता है।
कहा जाता है कि भगवान भास्कर यानी सूर्य भगवान को खीर बहुत पसंद होता है। भगवान भास्कर चराचर जगत के देवता हैं। वो अपने दिव्य प्रकाश से पूरे ब्रह्मांड को प्रकाशित करते है। माना जाता है कि खरना का प्रसाद भी भगवान भास्कर के प्रकाश से प्राप्त होता है।

7. खरना के प्रसाद में खीर का बहुत महत्व होता है। शास्त्रों में खीर के सेवन को अमृत का सेवन बताया गया है। खीर गाय के दूध से बनी होती है और दूध में सभी देवी देवताओं का वास होता है। खरना का प्रसाद प्राकृतिक चीज़ें जैसे आम की लकड़ी और मिट्टी के चूल्हे की मदद से बनाया जाता है ताकि व्रतियों में दिव्यता के कारण सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो।

8. ज्योतिषियों के अनुसार त्रेता युग में पुत्रकामेष्टि यज्ञ में राजा दशरथ की तीनों पत्नियों ने याज्ञिक खीर ग्रहण किया था। इस खीर की दिव्यता का असर कुछ ऐसा ही हुआ कि राजा दशरथ की तीनों रानियों को भगवान राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न जैसे पुत्र प्राप्त हुए।

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