Tuesday, July 15, 2025
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डॉ सौरभ द्विवेदी से जानिए क्या होता है लिगामेंट,एसीएल और पीसीएल

लिगामेंट एसीएल पीसीएल

डॉक्टर सौरभ द्विवेदी ने बताया कि घुटनों के सबसे महत्वपूर्ण लिगामेंट एसीएल पीसीएल टूटने का इलाज अब आर्थोस्कोपी के जरिए अतीत की तुलना में कहीं ज्यादा सुरक्षित और बेहतर हो चुका है।

वस्तुत: लिगामेंट्स रस्सीनुमा तंतुओं के ऐसे समूह हैं, जो हड्डियों को आपस में जोड़कर उन्हें स्थायित्व प्रदान करते हैं। इस कारण जोड़ सुचारु रूप से कार्य करते हैं। घुटने का जोड़ घुटने के ऊपर फीमर और नीचे टिबिया नामक हड्डी से बनता है।

बीच में टायर की तरह के दो मेनिस्कस (एक तरह का कुशन) होता है। फीमर व टिबिया को दो रस्सीनुमा लिगामेंट (एनटीरियर क्रूसिएट लिगामेंट और पोस्टेरियर क्रूसिएट लिगामेंट) आपस में बांध कर रखते हैं और घुटनों को स्थायित्व प्रदान करते हैं।

साइड में यानी कि घुटने के दोनों तरफ कोलेटेरल और मीडियल कोलेटेरल लिगामेंट और लेटेरल कोलेटरल लिगामेंट नामक रस्सीनुमा लिगामेंट्स होते हैं। इनका कार्य भी क्रूसिएट की तरह दोनों हड्डियों को बांध कर रखना है।

ACL एसीएल

एंटीरियर क्रूसिएट लिगामेंट (एसीएल) घुटने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। स्पोर्ट्स इंजरी में सबसे ज्यादा यही लिगामेंट टूटता है। इसे पुन: उखड़ी हुई जगह पर जोड़ना और नया लिगामेंट बनाने की प्रक्रिया को एसीएल रीकॉन्ट्रक्शन कहते हैं।

लिगामेंट आपके शरीर में मजबूत टिश्यू का ऐसा समूह है, जो हड्डियों को आपस में जोड़ता है। घुटने के आर्थोस्कोपिक प्रोसीजर में एसीएल सर्जरी सबसे ज्यादा कारगर होती है। एसीएल सर्जरी घुटने को स्थिरता प्रदान करती है।

जब घुटना ज्यादा स्ट्रेच हो जाता है तब एक स्थिति ऐसी आ जाती है कि लिगामेंट खिंचते हुए टूट जाता है। ऐसे में घुटना सूज जाता है और उसमें दर्द होता है। घुटना अस्थिर हो जाता है और चलने में दिक्कत होती है।

PCL पोस्टीरियर क्रूसिएट लिगामेंट 

घुटने के जोड़ के पास दो हड्डियों का मेल होता है, जिनमें फैमूर (थाईबोन) और तिबिया (शिनबोन) शामिल होते हैं। घुटने के ऊपर की हड्डी जोड़ को सुरक्षा प्रदान करती है। एक हड्डी दूसरी हड्डी से लिगामेंट के जरिए जुड़ी होती है। घुटने में कुल चार प्रमुख लिगामेंट्स होते हैं।

यह हड्डियों को एक साथ पकड़े रखने के लिए एक मजबूत रस्सी की तरह काम करते हैं और घुटने को स्थिर बनाते हैं। पोस्टीरियर क्रूसिएट लिगामेंट शिनबोन को पीछे की ओर अत्यधिक सीमा तक मुड़ने में मदद करता है।

यह एंटीरियर क्रूसिएट लिगामेंट के मुकाबले अधिक मजबूत होता है और यह अक्सर कम घायल होता है। पोस्टीरियर क्रूसिएट लिगामेंट के दो भाग होते हैं जो मिलकर एक ढांचा निर्मित करते हैं, यह लगभग व्यक्ति की छोटी उंगली के सामान होता है।

कैसे होता है लिगामेंट का इलाज

आर्थोस्कोपी दूरबीन विधि

आर्थोस्कोपी का शाब्दिक अर्थ है शरीर के जोड़ को किसी यंत्र से देखना। इसमें धातु की एक पतली नली का एक सिरा जोड़ के अंदर डाल दिया जाता है। इस नली में लेंस लगे होते हैं जो अंदर के भागों को बड़ा करके बाहर दिखाते हैं।

आर्थोस्कोपी की प्रक्रिया के अंतर्गत पहले जोड़ में पानी भरकर उसे बड़ा कर लिया जाता है, जिससे जोड़ के अंदर की चीजें साफ दिखें और ऑपरेशन आसानी से किया जा सके। आर्थोस्कोपी से ऑपरेशन के दौरान किसी भी तरह के संक्रमण नगण्य हो जाता है।

आर्थोस्कोपिक विधि से इलाज

आर्थोस्कोपिक विधि से अब स्पोर्ट्स इंजरी का इलाज सफलतापूर्वक संभव है। चीरफाड़ किए बगैर आर्थोस्कोप से जो भी लिगामेंट टूट गया है, उसे रिपेयर कर दिया जाता है या फिर उसका दोबारा पुनर्निर्माण कर दिया जाता है।

घुटने की लूज बॉडीज (चोट लगने के कारण लिगामेंट में टूट-फूट होने वाले भागों) को निकाल दिया जाता है। परिणामस्वरूप घुटने की अस्थिरता खत्म हो जाती है और दर्द दूर हो जाता है।

 

ऐसे व्यक्ति की दिनचर्या बहाल हो जाती है। यह आधुनिक विधि दर्दरहित और सफल है।

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