देखो ‘वर्मा’ आ गया फागुन का उल्लास, कलियों में होने लगा यौवन का एहसास। – डा वी के वर्मा

फागुन गीत
देखो ‘वर्मा’ आ गया फागुन का उल्लास,
कलियों में होने लगा यौवन का एहसास।
जड़ चेतन में व्याप्त है होली का आनन्द,
भौंरे पी कर मस्त हैं फूलों का मकरन्द।
देखो ‘वर्मा’ आ गया होली का त्यौहार,
जिधर देखिए उधर है रंगों की बौछार।
प्रियतम करते प्रेम से गोरी का मनुहार,
दादा दादी के लिए ले आये उपहार।
वर्ष-वर्ष पर आ गया होली का त्यौहार
छोड़ो नफरत करो अब इक दूजे से प्यार।
राष्ट्रीय है एकता का यह पावन पर्व,
ऐसे पावन पर्व पर किसे न होगा गर्व।
सचमुच :वर्मा’ प्रेम है इस जगती का सार,
प्रकृति नटी करने लगी साज और श्रृंगार।
साली सरहज ने किया इतना मुझको तंग,
मेरा चेहरा हो गया अब कैसा बदरंग।
डाक्टर ‘वर्मा’ हो गयी मर्यादा स्वछन्द,
जड़ चेतन सब ले रहे होली का आनन्द।।
फागुनी दोहे
-डा0 वी0के0 वर्मा
आयुष चिकित्साधिकारी जिला चिकित्सालय, बस्ती

