Monday, July 14, 2025
उत्तर प्रदेशलखनऊ

कर्मचारियों की 72 घंटे की हड़ताल सफल , सरकारी प्रयास नाकाफी

विद्युत कर्मचारी 72 घंटे की हड़ताल पर,सरकार एस्मा लगाने को तैयार 

लखनऊ । उत्तर प्रदेश में बिजली कर्मचारियों ने गुरुवार (16 मार्च) की रात से 72 घंटे की हड़ताल जारी है  वहीं, दूसरी ओर सरकार ने इस मुद्दे पर सख्त रुख दिखाया है।

राज्य सरकार और विरोध करने वाले उत्तर प्रदेश बिजली विभाग के कर्मचारियों के बीच बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकलने पर कर्मचारी गुरुवार रात 10 बजे से 72 घंटे की हड़ताल पर चले गए। अनपरा, ओबरा, पारीछा और हरदुआगंज में थर्मल पावर हाउसों में नाइट शिफ्ट के कर्मचारी, जूनियर इंजीनियर और इंजीनियर हड़ताल पर चले गए हैं और ड्यूटी पर जाने से मना कर दिया है। कल रात करीब 10 बजे विद्युत कर्मचारी 72 घंटे की हड़ताल पर जा चुके है।

यूपी सरकार ने दी ESMA के तहत कार्रवाई की चेतावनी , बातचीत बेनतीजा

वहीं, सरकार ने आवश्यक सेवा रखरखाव अधिनियम (ESMA) के तहत हड़ताली कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी दी। यूपी सरकार ने कहा कि अगर हड़ताल जनता के लिए समस्या पैदा करती है और अगर वे काम पर नहीं लौटते हैं तो संविदा कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया जाएगा। सरकार ने विरोध के दौरान अन्य कर्मचारियों को धमकी देने या सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) लागू करने की चेतावनी दी।

वही दूसरी तरफ कर्मचारी अपनी मांगों पर अड़े हुए है । कर्मचारियों ने कहा है कि अगर हमारे किसी कर्मचारी पर एक्शन लिया गया तो वे अनिश्चितकालीन आंदोलन करेंगे।

एस्मा और एनएसए लागू करने की चेतावनी देते हुए ऊर्जा मंत्री ने कहा, “ऐसे कर्मचारी हैं जो देश हित में हड़ताल में शामिल नहीं हो रहे हैं जबकि संघर्ष समिति के बैनर तले कुछ कर्मचारियों ने इसके साथ आगे बढ़ने का फैसला किया है। हमने मुद्दों को हल करने का प्रयास किया लेकिन दो घंटे से अधिक चली बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकला। और सरकार समस्याओं को हल करने को लेकर गंभीरता से कार्य कर रही है ।”

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने मीडियाकर्मियों को बताया, “3 दिसंबर को बिजली मंत्री और संघ समिति के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे। एक खंड था जिसके तहत बिजली निगम के अध्यक्ष को हमारे मुद्दों को हल करने के लिए हमारे साथ संवाद करना था। आज 16 मार्च है लेकिन सभापति एक बार भी चर्चा करने में विफल रहे। ऐसे में कर्मचारी हड़ताल पर जाने के लिए मजबूर हुए।”

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