Tuesday, July 15, 2025
बस्तीबस्ती मंडल

गणतंत्र दिवस पर कवियों, शायरों ने गाये जनगण के गीत

बस्ती :-(मार्तंड प्रभात) गणतंत्र दिवस पर जिला प्रशासन की ओर से प्रेस क्लब सभागार में राष्ट्रीय चेतना पर केन्द्रित कवि सम्मेलन मुशायरे का आयोजन वरिष्ठ कवि डा. रामकृष्ण लाल ‘जगमग’ के संयोजन एवं संचालन में किया गया।

उप जिलाधिकारी सदर आनन्द श्रीनेत ने कहा कि देश को आजादी दिलाने में कवियोें, शायरों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। उनकी रचनाओें ने संकट के समय देश को साहस दिया। उन्होने कहा कि लोकतंत्र का महापर्व आ गया है। इसमें लोग अपने मताधिकार का अवश्य प्रयोग करें जिससे हमारा गणतंत्र और समृद्ध हो।

तहसीलदार सदर इन्द्रमणि तिवारी ने कवियों, शायरों का बस्ती की धरती पर स्वागत करते हुये कहा कि कवितायें देश, समाज का स्वर बदलती हैं। नायब तहसीलदार के.के. मिश्र, सहायक सूचना निदेशक प्रभाकर त्रिपाठी ने कहा कि गणतंत्र को शक्तिशाली बनाने में साहित्यकारों का बडा योगदान है।

वरिष्ठ कवि सत्येन्द्रनाथ मतवाला की अध्यक्षता में कवि सम्मेलन मुशायरे का प्रारम्भ श्रीमती रूचि द्विवेदी के सरस्वती वंदना से हुआ। ओज के राष्ट्रीय कवि भूषण त्यागी को श्रोताओं ने डूबकर सुना ‘ उनकी रचना ‘हंसते-हंसते जो सरहद पर जूझ गए, एक दीप उनकी खातिर भी जला सखे…’ सुनाकर शहीदों को नमन् किया।

डा. रामकृष्ण लाल जगमग की रचना ‘ तुम चुनाव का पर्व मनाओ, लोकतंत्र मजबूत बनाओ’ को श्रोताओं ने सराहा। प्रसिद्ध कवि ताराचंद तन्हा के हास्य व्यंग्य पर खूब ठहाके लगे। विनोद उपाध्याय के गीतों ने वातावरण को सरस किया।

आचार्य ब्रम्हदेव शास्त्री पंकज, डा. वी.के. वर्मा, डा. सुशील सागर, जगदम्बा प्रसाद भावुक, डा. सुशील सिंह, रूचि द्विवेदी, ताजीर वस्तवी, डा. राजेन्द्र सिंह ‘राही’ डा. त्रिभुवन प्रसाद मिश्र, डा. अजीत राज, डा. अजय श्रीवास्तव, डा. अफजल हुसेन अफजल, नीरज प्रिय, रहमान अली रहमान, विशाल पाण्डेय आदि ने देश भक्ति पर केन्द्रित रचनायें सुनाकर वाहवाही लूटी। देर रात तक चले कवि सम्मेलन में ठंड के बावजूद श्रोता डटे रहे।

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