मनरेगा से लेकर आवास तक बस भ्रष्टाचार ही भ्रष्टाचार

मनरेगा से लेकर आवास तक बस भ्रष्टाचार ही भ्रष्टाचार
बस्ती (martand prabhat). मनरेगा के उद्देश्यों को ग्राम पंचायतों में जिम्मेदार लगा रहे पलीता । हर साल करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद न तो गांवों से ना तो मजदूरों का पलायन रूका और न ही स्वक्षता का नारा परवान चढ़ा रहा । जबकि मनरेगा के तहत मजदूरों को एक सौ दिन हर साल रोजगार देने की गारंटी है , ग्राम पंचायतों में रोजगार सृजन के लिए हर साल सरकार करोड़ों रुपए मनरेगा पर खर्च करती है लेकिन मनरेगा जिम्मेदारो के अवैध कमाई का माध्यम बन के रह गया है या फिर इसका लाभ प्रधान के चहेते ही लेते है ।
यही हाल आवास और शौचालय का है हम बात बस्ती के सलटौवा विकास खंड के अजगैवा जंगल ग्राम सभा की है जहां सरकारी योजनाएं मात्र प्रधान और रोजगार सेवक के अवैध कमाई का जरिया बन के रह गई है । आवास ,शौचालय ,सोक्ता हो या मनरेगा सब चीख चीख कर लूट की कहानी सुनाते है । निजाम तो बदलते है लेकिन ग्रामवासियों की किस्मत नहीं बदलती है । क्या पूर्व प्रधान क्या वर्तमान ग्रामवासियों की नजर में सब एक जैसे है । अजगैव जंगल में हर बात का रेट फिक्स है गांव वाले कहते है कि आवास चाहिए तो रोजगार सेवक को दस हजार देना पड़ता है ।
पिछली बार के प्रधानी में आवास मिला था लेकिन रोजगार सेवक ने दस हजार रुपए सब से लिए थे किसी ने पांच भी दिए , देने में देर हूई तो खाता लॉक कर देते है , फिर पैसा देने पर खुल जाता है ,ये कहना है ग्रामवासियों का । यही नहीं शौचालया में भी भरी घोटाला हुआ है । गांव वाले बताते है कि सभी शौचालय ठेके पर प्रधान द्वारा बनाए गए थे जो पानी बरसते ही गल के खतम हो गए । खंडहर मात्र खड़े है जिनका शायद ही कभी उपयोग हुआ होगा ।कोई भी शौचालय उपयोग में नहींं है, हो भी कैसे किसी शौचालय में टैंक ही नही बना जिसमे बना है तो उसको शौचालय से जोड़ा ही नही गया , ईट ऐसाा लगाया गया की बारिश में गल के खतम हो गया । पानी निकलने का कोई रास्ता ही नही बना , ऐसे में शौचालय मात्र सरकारी धन लूटने का सुरक्षित तरीका बन के रह गए । ये कारनामे तो पूर्व प्रधान हरिरााम र्व सेक्रेट्री महेंद्र यादव और वर्तमान रोजगार सेवक पप्पू के हैै।
लेकिन वर्तमान प्रधान भी कम नही निकले गांव वालो का कहना है उनके पूर्वा पर 4 सोकता बनवाए है जो 5/5 के है इनका निर्माण भी मानक के अनुसार नही है , क्योंकि ये वर्तमान प्रधान है लोग खुल के बोलने से डर भी रहे है ।
चुनाव के बाद से ही मनरेगा का लाभ मात्र चहेते लोगो तक सिमट के रह गया है । जॉब कार्ड तो सबका बना है लेकिन दो साल होने को आया जॉब नहीं मिली । यहां सरकार को रोजगार गारंटी योजना विशेष लोगो तक सीमित हो गई । लोगो का कहना था कि काम के लिए दिल्ली बंबई जाना पड़ता है जब से नए प्रधान जी आए है एक रुपए का काम नही मिला ।
इस पर जब वर्तमान प्रधान से बात की गई तो उनका कहना था कि मैंने कोई भ्रष्टाचार नहीं किया है न ही आवास में कोई पैसा किसी से लिया है जो कोई कह देगा तो जूता से मरूंगा जिसमे दम हो कहके देखे ।अब आप ही सोचिए ऐसे में किसकी हिम्मत है जो मुंह खोले ।वैसे ज्यादातर मामले तो पूर्व प्रधान के ही है।
खैर ये कहानी तो बस एक पूर्वा की है अभी और भी कहानियां आनी बाकी है । सूत्रों की माने तो अगर ठीक से जांच हो जाए तो अजगैवा जंगल में करोड़ों का घोटाला सामने आएगा। आवास और शौचालय में ही करोड़ों का खेल हो गया है।

