Tuesday, July 15, 2025
बस्ती

रमजान कॉन्फ्रेंस का आयोजन हुआ

 

बस्ती–माहे रमज़ान बहुत ही बाबरकत महीना है। इसी माह में क़ुरान करीम का नुजूल हुवा। यह माह इंसानियत का खास दर्स देता है क्योंकि भूखा-प्यासा रहकर ही हमे दुसरो की भूख-प्यास का अहसास होता है और हमे ज्यादा से ज्यादा जरूरत मंदो की मदद करना चाहिए। हदीस पाक में आता है।

तुम्हारा पड़ोसी अगर भूखा है, चाहे वो किसी भी जाति-धर्म का हो उसे खाना खिलाओ वर्ना तुम्हारा खाना हराम है। इस माह में गरीबो-यतीमो का ज्यादा से ज्यादा ज्यादा ख्याल रखे। सदका, जकात, फितरा निकाल कर मुस्तहिब को दे। सब्र करे, झूठ, ग़ीबत व तमाम गुनाहों से दूर रहते हुवे रोज़ा रखे।

उक्त बातें रमजान कॉन्फ्रेंस के दौरान एजाज़ आलम खान क़ादरी प्रिंसिपल दारुल उलूम इस्लामियां फैजाने आलम परसा दमया ने कहा।

उन्होंने कहा कि इस मोकद्दस महीने के तीन हिस्से है पहला हिस्सा 1 रमज़ान से 10 रमज़ान रहमत दूसरा हिस्सा 11 रमज़ान से 20 रमज़ान मग़फ़िरत तीसरा हिस्सा 21 रमज़ान से 30 रमज़ान जहन्नम से निजात। अल्लाह रब्बुल आलमीन ने यह नायाब तोहफा प्यारे रसूलुल्लाह हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहिवासल्लम के सदके में अता किया है। यह महीना आया है जाते देर नही लगेगा। रोज़े की रूह नमाज़ है और तक़वा है। बगैर नमाज़ और तक़वा के रोज़ा रखना बे मतलब है।

रोज़ा तक़वा के साथ कायम रखे तो अज्र बहूत ही ज्यादा है। तरावीह की नमाज़, क़ुरान की तेलावत, नफिल नमाज़ के साथ यह बात जहन में रखे कि जिंदगी में जो फ़र्ज़ नमाज़ कज़ा हो गयी है उस नमाज़ को भी हर हाल में अदा करना फ़र्ज़ है क्योंकि नमाज़ किसी भी कीमत पर माफ नही है ।

इसलिए इस महीने में कज़ा उमरी जरूर पढ़ें अगर फजिर की नमाज़ के बाद दो रकात फ़र्ज़ कज़ा उमरी नमाज़ वक़्त फजिर की नीयत करते है तो अल्लाह आपको 140 रकात का सवाब अता कर रहा है क्योंकि एक रकात का 70 गुना मिल रहा है।

इसी तरह जोहर, असर , मगरिब और इशा फ़र्ज़ के वक़्त भी कज़ा उमरी की नीयत करके फ़र्ज़ नमाज़ अदा करे। जितना क़ूवत हो सके उतना कज़ा उमरी पढ़े। रब्बे कायनात बेसुमार रहमते नाज़िल करेगा और इंशाअल्लाह सबीरा-कबीरा गुनाहों को भी बक्श देगा।

दूसरी बात इस महीने में हम जिस तरह से इबादत करते है, नेकियां करते है, गुनाहों से दूर रहते है तो यह महीना यह बताता है कि बाकी 11 महीना कैसे रहना है। इसलिये बाकी 11 महीने भी हर तरह के गुनाहों से दूर रहते हुवे अल्लाह की इबादत करें। आखिरी असरे में एक रात शबे कद्र है जो हजार महीनों से बेहतर है।

रमजान में इब्लीस और दूसरे शैतानों को जंजीरों में जकड़ दिया जाता है। जो लोग इसके बावजूद भी जो गुनाह करते हैं वह नफ्से अमारा की वजह से करते हैं। हमे अपने नफ़्स पर भी काबू रखना है। यह सबसे बड़ा शैतान है क्योंकि इब्लीस को उसके नफ़्स ने ही उसे शैतान बनाया था।

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