Monday, July 14, 2025
आस्था

महाशिवरात्रि व्रत जब बरसेगी शिव कृपा, व्रत,पूजन,और महत्व

           

 

 

 

 

 

 

महाशिवरात्रि महत्व और पूजन 

पण्डित विपिन मिश्र( ज्योतिष विषेशज्ञ)   हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि के पर्व को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। शास्त्रों में शिवरात्रि को भगवान शिव की पूजा और आराधना का मुख्य दिन माना गया है। इस दिन भगवान शिव का माता पार्वती के साथ विवाह हुआ था।

महाशिवरात्रि का पर्व फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। महाशिवरात्रि भगवान शिव का सबसे प्रिय दिन है जोकि इस बार 11 मार्च , गुरुवार को मनाया जाएगा। इस दिन सभी शिव मंदिरो मे शिव विवाह का आयोजन किया जाता है। शिव मंदिरों में पूजा के लिए भक्तो कि भीड़ उमड़ पड़ती है। 

                शिव रात्रि और ग्रह योग 

इस साल शिवरात्रि का त्‍योहार बहुत ही शुभ शिव योग बन रहा है नक्षत्र घनिष्‍ठा रहेगा और चंद्रमा मकर राशि में रहेगा। शिवरात्रि की पूजा संपूर्ण विधि विधान के साथ करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है ।शिव की अनजाने में भी की गई पूजा कभी निष्फल नहीं होती।

                 

 

 

 

 

 

 

 

  शिवपूजन की विधि

हम आपको शिव पूजन की साधारण विधि बता रहे है जिससे हर कोई आसानी के साथ भगवान शिव की कृपा प्राप्त कर सके विशेष पूजन के लिए आपको योग्य ब्राह्मण से सम्पर्क करिए।

१- शिवरात्रि के दिन प्रदोष काल में या आधी रात के समय स्नान करने के बाद पारद शिवलिंग या स्फटिक शिवलिंग की स्थापना करें। अब गंगाजल, यदि आपके पास गंगाजल नहीं है तो शुद्ध जल में थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर शिवलिंग पर चढ़ाएं।

२- अब दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से भगवान शिव को स्नान कराएं।

३- इसके बाद भगवान शिव को चंदन लगाकर फूल, बिल्वपत्र चढ़ाएं। इसके बाद धूप, दीप से भगवान शिव की पूजा करें, यदि आप शीघ्र फल पाना चाहते हैं तो महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग के सामने बैठकर नीचे दिए गए मंत्रों में से किसी एक मंत्र की एक माला जाप करें.।

सर्वविध कल्याण के लिए 

ओम नमः शिवाय 

स्वस्थ लाभ के लिए

ओम त्र्यंबकम यजा महे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम, उर्वारुकमिव बंधनात मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।

महाशिवरात्रि व्रत का फल  

पुराणों के अनुसार बहुत समय पहले वाराणसी के जंगलों में एक भील निवास करता था। भील जंगली जानवरों का शिकार करके अपने परिवार का पालन पोषण करता था।

एक बार शिवरात्रि के दिन भील शिकार करने के लिए जंगल गया। उस दिन भील को कोई भी शिकार नहीं मिला तो वह एक झील के किनारे एक पेड़ पर चढ़ गया और सोचने लगा कि अगर कोई जानवर पानी पीने आएगा तब वह उसका शिकार कर लेगा।

जिस पेड़ पर भील चढ़ा था वह एक बिल्ववृक्ष था और उस पेड़ के नीचे शिवलिंग था । भील वहां बैठे बैठे पत्ते तोड़कर नीचे फेंक रहा था और वो पत्ते शिव लिंग पर पड़ रहे थे । जिससे अनजाने में ही लेकिन शिव की पूजा हो रही थी  ।

 कुछ समय के पश्चात झील के किनारे एक हिरणी पानी पीने के लिए आई। जैसे ही शिकारी ने हिरनी को मारने के लिए धनुष पर तीर चढ़ाया तो लेकिन निशाना नहीं लगा सका। थोड़ी देर के पश्चात एक दूसरे हिरनी झील के किनारे आई।

।शिकारी ने फिर से धनुष पर बाण चढ़ाया। लेकिन बाण नहीं छोड़ सका।यही क्रम रात भर चलता रहा लेकिन शिकारी तीर नहीं चला सका ।शिवपूजन के प्रभाव से उसका हृदय परिवर्तित हो जाता और वो रात भर बेल पात्र तोड़कर शिवलिंग पर गिरता रहा।

इसी प्रकार शिकारी पूरा दिन भूखा प्यासा रह कर रात भर जागता रहा और अनजाने में शिव पूजन भी करता रहा। उस दिन संयोग से शिव रात्रि थी। जिससे उस शिकारी का शिवरात्रि का व्रत सफलता पूर्वक पूर्ण हो गया। इस व्रत के प्रभाव से शिकारी के सभी पाप नष्ट हो गए और उसे पुण्य प्राप्त हुआ।

अंत में उसने शिकार का विचार ही छोड़ दिया तभी शिवलिंग से भगवान शिव प्रकट होकर शिकारी से बोले कि मैं तुमसे प्रसन्न हूं और उन्होंने शिकारी को वरदान दिया कि त्रेतायुग में भगवान राम तुम्हारे घर पधारेंगे और तुम्हारे साथ मित्रता निभाएंगे। तुम्हें मोक्ष भी मिलेगा।

                   शिवरात्रि का महत्व  

  • शिवरात्रि के दिन पूरा दिन व्रत करके श्रद्धा पूर्वक भोलेनाथ की पूजा अर्चना करनी चाहिए. ऐसा करने से मनुष्य को भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और उसके जन्म जन्मांतर के पाप दूर हो जाते हैं।
  • शिवरात्रि का व्रत करने से मनुष्य इस लोक में सुख पूर्वक रहकर अंत में शिवलोक को प्राप्त होता है।
  • यदि आप व्रत करने में असमर्थ हैं तो शिवरात्रि के दिन पूरा दिन व्रत करने के बाद शाम के समय भगवान शिव की पूजा अर्चना करके अपना व्रत खोल सकते हैं।
  • श्रद्धा पूर्वक व्रत करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं. शिवरात्रि के दिन पूरी रात जागरण करके भगवान शिव की भक्ति करने से मनुष्य के जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।

          शिवरात्रि से जुडी खास बाते-

  • महाशिवरात्रि की रात महा सिद्धिदात्री मानी जाती है. इस समय किए गए दान, शिवलिंग की पूजा और स्थापना का बहुत महत्व होता है।
  • शिवरात्रि की रात में आप स्फटिक या पारद शिवलिंग को अपने घर या व्यवसाय स्थल पर स्थापित कर सकते हैं।
  • शास्त्रों में पारद शिवलिंग को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है. यह एक प्रकार की धातु होती है जिससे शिवलिंग बनाया जाता है।
  • पारद शिवलिंग को शिव पुराण में भोलेनाथ का वीर्य बताया गया है। वीर्य एक प्रकार का बीज होता है जो संपूर्ण सृष्टि की उत्पत्ति का कारक होता है।
  • पारद का भोलेनाथ से सीधा संबंध होने की वजह से यह बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। यदि आप श्रद्धा पूर्वक पारद शिवलिंग का दर्शन करते हैं तो इससे आपको अतुल्य पुण्य फलों की प्राप्ति होती है।
  • गृहस्थ लोगों के लिए पारद के साथ-साथ स्फटिक शिवलिंग की पूजा और स्थापना भी बहुत अच्छी मानी जाती है।
  • स्फटिक शिवलिंग की पूजा, अभिषेक और दर्शन करने से कभी भी धन की कमी नहीं होती है और आपका स्वास्थ्य हमेशा अच्छा रहता है। 

 

 

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