Monday, July 14, 2025
आस्था

ईश्वर के लिये जो जीता है वही सन्यासी-राघवाचार्य सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा

बस्ती :-(मार्तण्ड प्रभात) ईश्वर के लिये जो जीता है वही सन्यासी है। गोपियां ईश्वर के लिये जीती थी इसलिये उन्हें प्रेम सन्यासिनी कहा गया। प्रभु प्रेम में हृदय का द्रवित होना ही तो मुक्ति है। कृष्ण कथा और बासुरी का श्रवण करते समय चाहें आंखे खुली ही क्यों न हो समाधि लग जाती है। कृष्ण कथा में प्राणायाम करने की कोई आवश्यकता नही है यह जगत को भुला देती है। मिठास प्रेम में होती है, बस्तु में नहीं। स्वाद गोपियों के माखन में नहीं प्रेम में था। यशोदा के हृदय में बसा हुआ कन्हैया जागा है किन्तु हमारे हृदय का कन्हैया सोया हुआ है। यह सद्विचार गुरू स्वामी राघवाचार्य जी महाराज ने शिव नगर तुरकहिया में भाजपा जिलाध्यक्ष महेश शुक्ल के आवास पर आयोजित 7 दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के छठवें दिन व्यासपीठ से व्यक्त किया।

महात्मा जी ने कन्हैया के बाल लीला के विविध प्रसंगो, गोपियों के साथ अनुराग, माखन चोरी आदि प्रसंगों का विस्तार से वर्णन करते हुये कहा कि जब तक परमात्मा को प्रेम से न बाधा जाय संसार का बन्धन बना रहता है। ईश्वर को फल दोगे तो वे तुम्हें रत्न देंगें। पाप के जाल से छूटना आसान नही है, जब तक पुण्य का बल बढता नही पाप की आदत नहीं छूटती।

बाल लीला का वर्णन करते हुये महात्मा जी ने कहा कि परमात्मा को बश में करने का सर्वोत्तम साधन है प्रेम। कन्हैया ने कभी जूते नहीं पहने, गायों की जैसी सेवा उन्होने किया शायद ही कोई कर सके। गाय में सभी देवों का वास है, गाय सेवा से अपमृत्यु टल सकती है। बासुरी का महत्व बताते हुये महात्मा जी ने कहा कि बांसुरी अपने स्वामी के इच्छानुसार ही बोलती है। इसलिये भगवान की जो इच्छा हो वही बोलना चाहिये।

कथा क्रम में भक्त प्रहलाद, कुन्ती की भक्ति और भीष्म का प्रेम, राधा के त्याग, रूक्मिणी प्रसंग, गोकुल भूमि की महिमा और ग्वाल बाल गोपिकाओं का श्री कृष्ण के प्रति समर्पण का वर्णन करते हुये महात्मा जी ने कहा कि संसार में कुन्ती जैसा बरदान किसी ने नहीं मांगा । कुन्ती ने कन्हैया से दुःख मांगा जिससे उनका कन्हैया उनसे दूर न जाय। आजकल तो लोग भगवान से केवल सुख मांगते हैं किन्तु बिना दुख के साधना पूर्ण ही नही हो सकती। परमात्मा की चाह में विरह ही तो भक्ति की प्रतिष्ठा है।

भाजपा जिलाध्यक्ष महेश शुक्ल , माता श्यामा देवी ने विधि विधान से परिजनों, श्रद्धालुओं के साथ व्यास पीठ का वंदन किया।

मुख्य रूप से दादा विजयसेन सिंह, सुशील सिंह, अनिल पाण्डेय, अजय सिंह, आशीष कुमार श्रीवास्तव, विजय तिवारी, रामउग्रह जायसवाल, अखण्ड सिंह, रामचरन चौधरी, सुधाकर पाण्डेय, ब्रम्हानंद शुक्ला, सुरेन्द्र कुमार त्रिपाठी, विनय उपाध्याय, योगेश शुक्ला, गिरीश पाण्डेय, अनूप खरे, अखिलेश शुक्ला के साथ श्रद्धालु श्रोता उपस्थित रहे।

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