आतंकियों को मिला सेफ हाउस,भारत सहित पूरी दुनिया के लिए खतरे कि घंटी

अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा, भारत के साथ सम्पूर्ण विश्व के लिए बहुत बड़ी चेतावनी है खासकर भारत के लिए।अफगानिस्तान में अमेरिका के हटने के बाद अफगान सैनिक भाग खड़े हुए है और पूरे अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्ज़ा हो चुका है।ऐसे में अफगान सैनिकों के हथियार को की अमेरिका ने दिए थे साथ भारी गोला बारूद और अत्याधुनिक हथियारों का जखीरा तालिबान के हाथ लगा है।जिसका इस्तेमाल पिछली बार की तरह पाकिस्तान भारत के विरूद्ध कर सकता है।
जम्मू-कश्मीर में हिंसा का दौर पिछली बार तब शुरू हुआ था, जब सोवियत यूनियन के सैनिकों को अफगानिस्तान छोड़कर जाने को मजूबर होना पड़ा था और उनके हथियार और गोला बारूद तालिबानियों के हाथ लगे थे। पाकिस्तान ने बाद में इसका उपयोग भारत के खिलाफ प्रॉक्सी वॉर के लिए किया।
तब पाकिस्तान और अमेरिका ने रूस के विरूद्ध इं तालिबानियों को समर्थन दिया था इस बार चीन और अमेरिका ने वैसा ही समर्थन दिया है।
इतिहास एकबार फिर से उसी मुकाम पर पहुंच गया है। पिछले कुछ दिनों से अफगानिस्तान में जो कुछ हो रहा है, उसमें पाकिस्तान पूरी तरह से शामिल है। और एक बार फिर भारत से हारा और बौखलाया पाकिस्तान कहानी दोहरा सकता है।
जब पुराना अफगान युद्ध खत्म हुआ तो उसके तत्काल बाद के वर्षों में जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान प्रायोजित प्रॉक्सी वॉर शुरू हो गया। अफगानिस्तान में जो हथियार और गोला-बारूद गोदामों सोवियत यूनियन छोड़ गए थे पाकिस्तान ने आतंकी संगठनों के जरिए उसे कश्मीर में इस्तेमाल किया।
दुबारा से वहीं इतिहास दोहराया जा रहा है जो भारत के लिए खतरे की घंटी है।क्योंकि पाकिस्तान तालिबान का पूरा समर्थन कर रहा है और इस बार चीन भी तालिबान के बड़े भागीदार के रूप में सामने आया है।
सिर्फ यही नहीं पिछली बार जिन संगठनों का निर्माण सोवियत रूस से लडने के लिए किया गया था तालिबान की जीत के बाद उनका इस्तेमाल पाकिस्तान ने भारत के विरूद्ध छद्म युद्ध में कश्मीर में किया था।
जैसे लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी), हरकत-उल जिहादी इस्लामी (एचयूजेआई) और हरकत उल मुजाहिदीन (एचयूएम) जैसे पाकिस्तानी आतंकी संगठनों का जन्म अफगानिस्तान के भीतर सोवियत सेना के खिलाफ लड़ाई के लिए ही हुआ था, 80 के दशक के अंत से भारत के खिलाफ प्रॉक्सी वॉर में पाकिस्तान के लिए काम करना शुरू किया।
यह बात भी किसी से छिपी नहीं रह गई है कि तालिबान को मिलिट्री ट्रेनिंग देने में पूर्वी और दक्षिण अफगानिस्तान के पश्तून इलाके में पाकिस्तान ने कितनी अहम भूमिका निभाई है।
अब क्योंकि के लड़ाके काबुल जीत चुके है इनके पास दूसरा मिशन नहीं है तो पिछली बार की तरह इनका उपयोग भारत के खिलाफ किया जाएगा इससे इंकार नहीं किया जा सकता।अब अतंकियो को एक राज्य जो की उनके लिए सेफ हाउस बन चुका है मिल गया है तो इतिहास क्यों नहीं दोहराया जाएगा।
1996 से 2001 के बीच जब अफगानिस्तान में तालिबान का कट्टर इस्लामी शासन था, तब दुनिया के अलग-अलग जिहादी संगठनों के लिए तालिबान एक सुरक्षित ठिकाना और शरणगाह था जैसे 1996 में जब अल-कायदा को सूडान से भागना पड़ा तो तालिबान के मुल्ला उमर ने उसका राजकीय मेहमान की तरह स्वागत किया।11 सितम्बर 2001 की घटना हुई। आई 814 विमान अपहरण कांड जिसमें चार पाकिस्तानी आतंकी 1999 में काठमांडू से दिल्ली आ रही एयर इंडिया की फ्लाइट को हाइजैक करके अफगानिस्तान के कंधार ले गए थे ,तालिबान की मदद की वजह से ही पाकिस्तानी अपहरणकर्ता 150 हवाई यात्रियों के बदले मौलाना मसूद अजहर, मुस्ताक अहमद जरगर और उमर सईद शेख जैसे आतंकियों को रिहा करवाने में कामयाब हो गए थे।
मौलाना मसूद अजहर ने फौरन ही जैश-ए-मोहम्मद जैसा आतंकी संगठन बनाया, जिसने 13 दिसंबर, 2001 में संसद पर हमले को अंजाम दिया था। 14 फरवरी, 2019 में कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आत्मघाती हमले में भी उसी का हाथ था, जिसमें 40 जवान शहीद हो गए थे।
लेकिन, तब पाकिस्तान को इल्म नहीं था कि भारत इसका इतना बड़ा बदला लेगा। दो दिन बाद ही 26 फरवरी को भारतीय वायुसेना ने जवाबी कार्रवाई में खैबर पख्तूनखा के बालाकोट में एयर स्ट्राइक करके जैश की ट्रेनिंग कैंप को तबाह कर दिया था और रिपोर्ट के मुताबिक इसमें 300 से ज्यादा आतंकी ढेर कर दिए गए थे।
लेकिन अब ये ट्रेनिंग कैम्प अफगानिस्तान में फिर पाकिस्तान शिफ्ट कर देगा जोकि भारत के पहुंच से दूर रहेंगे।
अफगानिस्तान में इतिहास फिर से उसी मोड़ पर आ चुका है, अफगानिस्तान की हार पर जिस तरह से पाकिस्तान और उसके हुक्कमरान उत्साहित हैं, भारत को पुरानी यादें ताज़ा करने और सतर्क होने की जरूरत है।अभी से पाकिस्तानी में तालिबान की जीत के बाद का जश्न ऐसे मनाया जा रहा है जैसे पाकिस्तान की मुहमांगी मुराद मिल गई हो।
ऐसे में एक बार फिर से पाकिस्तान की मौजूदगी में अफगानिस्तान के फिर से आतंकवाद की नर्सरी बनने की आशंका भारत के लिए बहुत बड़ी चिंता की वजह बन सकती है।370 हटने के बाद बौखलाया पाकिस्तान इस काम में देर नहीं करेगा।भारत को आने वाले चुनौती के लिए तैयार रहना चाहिए।एक बार फिर 90 के हालात दोहराने को पाकिस्तान उतावला है।

