Tuesday, July 15, 2025
क्राइमबस्ती

झोलाछापों पर विभागीय सख्ती हवा हवाई,प्रशासन पर संरक्षण का आरोप 

झोलाछापों पर विभागीय सख्ती हवा हवाई,प्रशासन पर संरक्षण का आरोप 

बस्ती (मार्तण्ड प्रभात)। योगी सरकार मे झोलाछाप कथित डाक्टरों का वर्चस्व चौतरफा कायम है। ये डॉक्टर खुलेआम प्रशासन को चुनौती देते नजर आ रहे है । एक तरफ जहां सरकार अवैध फर्जी हॉस्पिटलों और क्लिनिक सेंट्रो के विरुद्ध अभियान चला रही है वही दूसरी तरफ अधिकारी ही इन फर्जी मुन्ना भाई जैसे डॉक्टरों को संरक्षण देने में व्यस्त है।

और सारा अभियान मात्रा धन वसूली का अभियान बन कर रह जाता है।

झोलाछाप डॉक्टरों की माने तो स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार भी महीना वसूलने के बाद आंख बंद कर लेते है। परिणामस्वरूप ग्रामीण क्षेत्रों मे मरीज इन प्रैक्टिस्नर के हाथों मरने और लूटने को मजबूर है।

ऐसा ही एक वाकया गौर विकास खंड के गौर चौराहा का है जहां झोलाछाप फर्जी डॉक्टर स्थानीय प्रशासन की सह पर निडरता से इलाज करते नजर आए। कोई परदे के पीछे इलाज करता है तो कोई तहखाने में ।

ऐसे ही एक बंगाली डॉक्टर गौर चौराहा से दुबौला रोड़ पर महज 100 मीटर चलने पर मिलते है ।ना कोई बोर्ड ,ना कोई मानक, ना कोई प्रशिक्षित डॉक्टर बस प्रेक्टिस के सहारे दुकान के नीचे तहखाने में मरीजों का इलाज करते नजर आए डॉक्टर साहब।

पूछने पर डॉक्टर साहब अपने को बंगाली बताते हुए 15 साल से इलाज करने का दावा करते ।डॉक्टर साहब कहते है उनके पास कोई डिग्री नही है न हो कोई रजिस्ट्रेशन ।

डॉक्टर विभूति राय साहब कहते है की आज तक किसी ने नही टोका, सीएमओ से लेकर स्थानीय पीएचसी तक के जिम्मेदार अधिकारी लोग आते है।

इनकी दबंगई का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है ये डॉक्टर सीधे जिम्मेदार अधिकारियों को महीना देते है। पत्रकारों को धमकाते हुए डॉक्टरों से कहा की जो लिखना पढ़ना चाहो कर सकते हो, सभी को महीने में सुविधा शुल्क दिया जाता है। आज तक कोई कार्यवाही नही हुई न आगे होगी।

ऐसा नहीं की डॉक्टर सब झूठ बोल रहे है ,और विभाग को कुछ पता नहीं है । विभाग रोजाना अभियान चलाता है इनके विरुद्ध लेकिन इनके उपर कोई कार्यवाही नही होती जबकि ये लोग सड़क पर सरे आम इलाज करते है।

इस सम्बन्ध मे जब एमआईआईसी अमर जीत बरई से बात की गई तो उन्होंने किसी भी तरह की कार्यवाही से इंकार करते हुए सारा आरोप उच्चाधिकारियों पर थोप देते है।उनका कहना है कि ये ऊपर के अधिकारी जाने ये मेरा काम नही।

एमओआईसी गौर का कार्यवाही से हाथ खड़ा करने से डॉक्टर के महीना वाली बात प्रमाणित लगती है।

अब सोचने वाली बात ये है की जब इन फर्जी झोलाछाप डॉक्टरों को प्रशासनिक आरक्षण प्राप्त है तो सरकार को पीएचसी सीएचसी पर इतना धन व्यय करने की क्या आवश्यकता।

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