प्राइवेट प्रैक्टिसके मामले बर्खास्त हुए केजीएमयू के डॉक्टर

लखनऊ। लखनऊ के प्रतिष्ठित किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) में फार्माकोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. एके सचान को आखिरकार रिटायरमेंट से ठीक तीन दिन पहले 12 जुलाई 2025 को बर्खास्त कर दिया गया। उनका रिटायरमेंट 15 जुलाई को होना था।
लगातार 12 वर्षों से चले आ रहे गंभीर मामले जांच में थे , जिनमें आय से अधिक संपत्ति, निजी अस्पताल का संचालन, नकली दवाओं का व्यापार, और ईडी की रिपोर्ट प्रमुख रहे हैं।
12 साल से विवादों में रहे डॉ. ए.के. सचान
डॉ. ए.के. सचान पर आरोपों की फेहरिस्त लंबी है। विगत 12 वर्षों में लगभग हर कुलपति (VC) के कार्यकाल में उनके खिलाफ मामले उठे, लेकिन हर बार उन्हें कोर्ट केस, जांच कमेटी या प्रशासनिक देरी का हवाला देकर बचा लिया गया। लेकिन अब रिटायरमेंट से ठीक पहले KGMU कार्यपरिषद ने सख्त रुख अपनाते हुए उन्हें बर्खास्त कर दिया।
घर से 1.76 करोड़ नकद बरामद
साल 2013 में आयकर विभाग ने डॉ. सचान के घर और कार्यालय में छापेमारी की थी, जिसमें 1.76 करोड़ रुपये नकद बरामद हुए थे। बाद में उनकी पत्नी डॉ. ऋचा मिश्रा ने 8 करोड़ रुपये अघोषित आय के रूप में सरेंडर की थी। इसके अलावा, जांच में कई ऐसे बैंक खातों और करोड़ों के ट्रांजैक्शन सामने आए जो उनके नाम पर थे। यह मामला अभी कोर्ट में विचाराधीन है।
निजी हॉस्पिटल और मेडिकल कॉलेज का संचालन
सरकारी डॉक्टर होते हुए भी डॉ. सचान ने इंदिरानगर स्थित शेखर मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल में प्रबंध निदेशक के रूप में कार्य किया, जो केजीएमयू एक्ट-2002 का उल्लंघन है। इसके अलावा उन्होंने और उनकी पत्नी ने बाराबंकी व शाहजहांपुर में हिंद इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज और शेखर स्कूल ऑफ नर्सिंग का संचालन भी किया, जो अलग-अलग चैरिटेबल ट्रस्ट्स के माध्यम से चल रहे हैं।
नकली दवाओं का आरोप और रेजिडेंट डॉक्टर की शिकायत
डॉ. सचान की पत्नी ने उन पर नकली दवाओं के कारोबार का आरोप लगाकर मुकदमा दर्ज कराया था। इतना ही नहीं, एक रेजिडेंट डॉक्टर द्वारा भी उनके खिलाफ अशोभनीय व्यवहार की शिकायत की गई थी, जिसकी जांच डिसिप्लिनरी कमेटी ने की थी।

