कोरोना मरीजों के हिस्से का दूध पी रहे है जिम्मेदार - www.martandprabhat.com
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कोरोना मरीजों के हिस्से का दूध पी रहे है जिम्मेदार

 

बस्ती :- कोरोना मरीजों को कागजों में दूध पिलाया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से जो मीनू की सूची तैयार कराई गई है, उसमें दोनों समय मरीज को दूध दिया जाना दर्ज है। विभाग की तरफ से एक मरीज पर प्रतिदिन सौ रुपए खर्च किया जा रहा है। शासन ने मरीज की इम्युनिटी बढ़ाने के लिए पौष्टिक भोजन दिए जाने का निर्देश दिया है।

मेडिकल कॉलेज बस्ती सहित एल-वन अस्पताल मुंडेरवा, रुधौली व परशुरामपुर में कोरोना संक्रमित मरीजों को रखा जाता है। मरीज को सुबह का नाश्ता, दोपहर व रात का खाना स्वास्थ्य विभाग दे रहा है। खाने की गुणवत्ता को लेकर समय-समय पर मरीजों की ओर से शिकायतें मिलती रहती है, लेकिन अधिकारियों की ओर से मामले में लीपा-पोती कर दी जा रही है। कागजों में विभाग से जो खाना-नाश्ता दिया जाना दर्शाया जा रहा है, वह जमीन पर नजर नहीं आता है। दूध की जगह कहीं एक समय चाय व काढ़ा दे दिया जा रहा है तो फल सिरे से नदारद रहता है। आईडीएसपी के नोडल ऑफिसर डॉ. सीएल कन्नौजिया का कहना है कि भोजन की व्यवस्था उनके अधीन नहीं है।

कोरोना मरीज को दिए जाने वाले डाइट की सूची

सुबह सात से आठ बजे के बीच-

200 एमएल दूध के साथ दो अंडा/दलिया/पोहा/चार ब्रेड और 10 ग्राम मक्खन

दोपहर एक से दो बजे के बीच

चार रोटी, दाल, मौसमी सब्जी, चावल, सलाद/दही

रात का खाना

मौसमी सब्जी, चावल, दाल, चार रोटी, फल/दूध

पूर्व में प्रति मरीज 500 रुपए खर्च का था मानक

कोविड मरीजों के लिए शुरूआत में प्रति मरीज, प्रति दिन 500 रुपए खर्च का मानक था। बाद में शासन स्तर से इसे घटाकर 100 रुपए कर दिया गया है। शासन का मानना है कि अगर जननी सुरक्षा योजना में 100 रुपए में मरीज को पौष्टिक खाना दिया जा रहा है तो कोरोना मरीजों को क्यों नहीं दिया जा सकता है। खर्च की घटी हुई यह सीमा स्वास्थ्य विभाग के गले की फांस बन गई है। अभी तक सौ रुपए में जेएसवाई योजना में पौष्टिक भोजन दिए जाने का दावा करने वाले अधिकारी कोविड मरीजों के लिए खर्च की सीमा नहीं बढ़वा पा रहे हैं। केवल कागजों में पौष्टिक भोजन दर्शाया जा रहा है। मरीज को घर से भोजन मंगाने की अनुमति न होने से विवश होकर उसे अस्पताल के भोजन पर ही संतोष करना पड़ता है।

शासन से जो बजट निर्धारित है, उसमें बेहतर व्यवस्था कराई जा रही है। दूध की जगह कुछ जगहों पर कुछ और खाने का सामान दिया जाता है। भोजन की गुणवत्ता पर ध्यान रखा जा रहा।

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