नबी नारायणन को हर्जाने के रूप में मिले 1.30 करोड़ ,झूठे जासूसी के केस में फसाया गया था

केरल सरकार ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन को मंगलवार को 1.30 करोड़ रुपये का मुआवजा सौंपा जिन्हें 1994 में जासूसी के झूठे मामले में फंसा दिया गया था। वैसे, पिछले साल दिसंबर में ही केरल राज्य कैबिनेट ने इसरो के पूर्व वैज्ञानिक एस नांबी नारायणन को 1.30 करोड़ रुपये का मुआवजा देने की मंजूरी दे दी थी।
नंबी नारायणन (79) ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा दो साल पहले उनकी गिरफ्तारी को गैरजरूरी बताये जाने के बाद तिरुवनंतपुरम के सेशन कोर्ट में याचिका दायर की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने तब अपने आदेश में 50 लाख रुपये की अंतरिम राहत देने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही ये भी कहा था नारायणन इससे ज्यादा के हकदार हैं और वे मुआवजे के लिए निचली अदालत का रुख कर सकते हैं।
इससे पहले राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी उन्हें 10 लाख रुपये की राहत देने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद केरल की सरकार ने पूर्व मुख्य सचिव के. जयकुमार को इस मामले को देखने और एक मुआवजा राशि तय करने को कहा।
इसके बाद इस संबंध में अदालत के सामने सुझाव प्रस्तुत किए गए और एक समझौता बना। सरकार ने पूर्व में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तीन सप्ताह बाद नारायणन को 50 लाख रुपये की राशि भी दी थी।
इसरो से जुड़ा 26 साल पुराना मामला
साल 1994 में जासूसी के झूठे मामले में आरोप लगाया गया था कि नारायणन भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम से संबंधित कुछ बेहद गोपनीय दस्तावेज विदेशी देशों को भेजने करने में शामिल हैं। इसके बाद नारायणन को बेकसूर होते हुए भी दो महीने जेल में रहना पड़ा था। 50 दिनों की कैद के बाद नारायणन को जनवरी 1995 में जमानत मिली।
बाद में, सीबीआई ने कहा कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप झूठे हैं। सीबीआई से पहले इस मामले की जांच केरल पुलिस कर रही थी। केरल सरकार द्वारा मुआवजे की राशि का चेक स्वीकार करते हुए नांबी नारायणन ने कहा कि मैं खुश हूं। यह केवल मेरे द्वारा लड़ी गई लड़ाई धन के लिए नहीं है। मेरी लड़ाई अन्याय के खिलाफ थी।

