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नवरात्रि विशेष, घटस्थापना मुहूर्त, क्या करे क्या ना करे

नवरात्रि विशेष. कलश,घटस्थापना 

इस वर्ष 17 अक्टूबर 2020 से शारदीय नवरात्रि प्रारंभ होने जा रही है नवरात्रि के यह नौ दिन मां दुर्गा की पूजा-उपासना के दिन होते हैं अनेक श्रद्धालु इन नौ दिनों में अपने घरों में कलश घट-स्थापना कर अखंड ज्योति की स्थापना कर नौ दिनों का उपवास रखते है।

मुहूर्त को लेकर अक्सर मन शंका रहती है कि कब करे पूजन ।आपकी शंका के समाधान के लिए मुहूर्त आदि का पूरा विवरण  दिया जारहा है।

जानते हैं कि नवरात्रि में घट स्थापना एवं अखंड ज्योति प्रज्ज्वलन का शुभ मुहूर्त कब-कब है-

नवरात्रि घट स्थापना मुहूर्त-

1. अभिजित मुहूर्त
अपराह्न 11:41 मिनट से 12:27 मिनट तक.

2.  मुहूर्त
प्रात: 7:45 मिनट से 9:11 मिनट तक.
प्रात: 12:00 बजे से 4:30 मिनट तक.

3.सायंकालीन मुहूर्त
सायं 6:00 बजे से 7:30 मिनट तक.

4.रात्रिकालीन मुहूर्त
रात्रि 9:00 बजे से 12:04 मिनट तक.

इस समय भी कर सकते है घट स्थापना:
देवी पूजा में शुद्ध मुहूर्त एवं सही व शास्त्रोक्त पूजन विधि का बहुत महत्व है।शास्त्रों में विभिन्न लग्नानुसार घट स्थापना का फल बताया गया है-

(घटस्थापना हेतु )शुभ लग्न-

मेष लग्न –  समय- 6:07 मिनट से 7:44 मिनट तक.

कर्क लग्न -समय -11:57 मिनट से 2:12 मिनट तक.

कन्या लग्न – समय- सुबह 4:29 से 6:44 मिनट तक.

तुला लग्न – समय- 6:44 मिनट से 9:02 मिनट तक.

वृश्चिक लग्न- समय- 9:02 मिनट से 11:19 मिनट तक.

मकर लग्न- समय-1:24 मिनट से 3:09 मिनट तक.

कुंभ लग्न- समय 3:09 मिनट से 4:40 मिनट तक.

नवरात्रि में कैसे करें पूजन:
नवरात्रि में पूजन कैसे करना चाहिए और इसके क्या नियम हैं.

आश्विन शुक्ल प्रतिपदा को ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें.
घर के ही किसी पवित्र स्थान पर स्वच्छ मिट्टी से वेदी बनाएं वेदी में जौ और गेहूं दोनों को मिलाकर बोएं
वेदी पर या समीप के ही पवित्र स्थान पर पृथ्वी का पूजन कर वहां सोने, चांदी, तांबे या मिट्टी का कलश स्थापित करें।
इसके बाद कलश में आम के हरे पत्ते, दूर्वा, पंचामृत डालकर उसके मुंह पर सूत्र बाधें.कलश स्थापना के बाद गणेश पूजन करें.इसके बाद वेदी के किनारे पर देवी की किसी धातु, पाषाण, मिट्टी व चित्रमय मूर्ति विधि-विधान से विराजमान करें।
तत्पश्चात मूर्तिका आसन, पाद्य, अर्ध, आचमन, स्नान, वस्त्र, गंध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, आचमन, पुष्पांजलि, नमस्कार, प्रार्थना आदि से पूजन करें.
इसके पश्चात दुर्गा सप्तशती का पाठ, दुर्गा स्तुति करें.
पाठ स्तुति करने के बाद दुर्गाजी की आरती करके प्रसाद वितरित करें इसके बाद कन्या भोजन कराएं फिर स्वयं फलाहार ग्रहण करें।

नवरात्रि में क्या करें,क्या न करें – 

इन दिनों व्रत रखने वाले को जमीन पर सोना चाहिए.
ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए व्रत करने वाले को फलाहार ही करना चाहिए। नारियल, नींबू, अनार, केला, मौसमी और कटहल आदि फल तथा अन्न का भोग लगाना चाहिए।
इन दिनों व्रती को क्रोध, मोह, लोभ आदि दुष्प्रवृत्तियों का त्याग करना चाहिए। देवी का आह्वान, पूजन, विसर्जन, पाठ आदि सब प्रातःकाल में शुभ होते हैं, अतः इन्हें इसी दौरान पूरा करना चाहिए।
यदि घटस्थापना करने के बाद सूतक हो जाएं, तो कोई दोष नहीं होता, लेकिन अगर पहले हो जाएं, तो पूजा आदि न करें।

पंडित विपिन मिश्र (आचार्य)

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