पुण्य तिथि पर याद किये गये प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद
बस्ती :-(मार्तण्ड प्रभात) प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को उनकी पुण्य तिथि पर रविवार को कायस्थ सेवा ट्रस्ट जिलाध्यक्ष सर्वेश श्रीवास्तव के संयोजन में चित्रगुप्त मंदिर सभागार में याद किया गया।
आयोजित गोष्ठी को सम्बोधित करते हुये ट्रस्ट संस्थापक अजय कुमार श्रीवास्तव ने राजेन्द्र बाबू को नमन् करते हुये कहा कि वे भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के निर्णायक नेता थे। उन्हें देश लिए किये गये अपने सर्वोच्च कार्यों के लिए भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया था। वे बचपन से ही प्रतिभाशाली छात्र थे, अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी होने के बाद, राजेंद्र प्रसाद जी ने पटना के टी. के. घोष अकादमी से अपने आगे की पढ़ाई की. सन 1902 में वे प्रेसीडेंसी कॉलेज, कलकत्ता में एक शिक्षक की तरह शामिल हुए।
एक बार एक परीक्षार्थी ने उनकी उत्तर पुस्तिका पर लिखा था ‘परीक्षार्थी परीक्षक से बेहतर है’, कुछ इसी तरह का व्यक्तित्व और प्रभाव था राजेंद्र प्रसाद जी का। उनके जीवन से सादगी, देश के लिये समर्पण भावना के प्रति युवा पीढी को प्रेरणा लेनी चाहिये।
संरक्षक डा. सौरभ सिन्हा, सुरेन्द्र मोहन वर्मा ने डॉ. राजेन्द्र प्रसाद के जीवन वृत्त पर विस्तार से प्रकाश डालते हुये कहा कि वे एक अच्छे राजनीतिक नेता, वकील, राजनेता और सामाजिक कार्यकर्ता थे। उन्होंने भारत के स्वतंत्रता आंदोलनों में बढ़ी सक्रियता से भाग लिया। स्वतंत्रता आन्दोलन, संविधान निर्माण में उनकी उल्लेखनीय भूमिका रही।
वे सादगी के मिशाल थे। संचालन करते हुये दुर्गेन्द
श्रीवास्तव ने डा. राजेन्द्र प्रसाद के जीवन के विविध पहलुओं पर प्रकाश डाला।