एकल पद पर आरक्षण का प्राविधान असंवैधानिक-दीन दयाल तिवारी

बस्ती :-(मार्तण्ड प्रभात) मेधा के राष्ट्रीय प्रवक्ता दीन दयाल त्रिपाठी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खण्ड पीठ द्वारा त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव आरक्षण और आवंटन कार्रवाई रोकने के आदेश का स्वागत करते हुये कहा है कि चुनाव में पारदर्शिता के लिये यह निर्णय आवश्यक हो गया था। कहा कि एकल पद पर आरक्षण का प्राविधान असंवैधानिक है। न्यायालय को इस पर भी विचार कर आदेश निर्गत करना चाहिये। मेधा इस महत्वपूर्ण विषय को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में रिट दायर करने की तैयारी कर रही है।
दीन दयाल त्रिपाठी ने प्रेस को जारी विज्ञप्ति के माध्यम से बताया कि जिस प्रकार से आरक्षण सूची में खामियां आयी उसे देखते हुये मेधा ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन देकर पूर्व में ही सुधार की मांग किया था। दिये ज्ञापन में कहा गया था कि कोरोना संकट काल के बाद हो रहे त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के आरक्षित सूची में बस्ती जनपद के साथ ही प्रदेश के अनेक जनपदों में घोर अनियमिततायें सामने आ रही हैं, इसका प्रभावी निस्तारण बिना पक्षपात के नियमानुसार कराने के साथ ही दोषियों को दण्डित कराया जाय जो चुनाव की शुचिता, पवित्रता को प्रभावित करने का षड़यंत्र कर रहे हैं।
श्री त्रिपाठी ने यह भी मांग किया कि पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति, जन जाति के घोषित सीटों पर सामान्य वर्ग के लोग चुनाव नहीं लड़ सकते किन्तु सामान्य वर्ग के सीट पर पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति, जन जाति के लोग उम्मीदवार बन जाते हैं।
यह स्थितियां समान अवसर और संविधान की मंशा के विपरीत है। तत्काल प्रभाव से ऐसा शासनादेश निर्गत किया जाय कि सामान्य वर्ग के सीट पर पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति, जन जाति के लोग उम्मीदवार न बन सके और सामान्य वर्ग को दिये गये 10 प्रतिशत आरक्षण की भी स्थिति स्पष्ट हो।

