2 सितम्बर से शुरू हो रहा है श्राद्ध पक्ष
इस बार श्राद्ध- 2 सितंबर से 17 सितंबर तक
इस बार चतुर्मास पूरे पांच मास का हो गया। लीप वर्ष के कारण अधिक मास दो मास का हो गया। जहां श्राद्ध समाप्ति के अगले दिन नवरात्र आरंभ हो जाते थे , इस बार लगभग एक मास के अंतराल के बाद होंगे।
इस साल श्राद्ध 2 सितंबर से शुरू होंगे और 17 सितंबर को समाप्त होंगे। इसके अगले दिन 18 सितंबर से अधिकमास शुरू हो जाएगा, जो 16 अक्टूबर तक चलेगा।
श्राद्ध
पूर्वजों की आत्मा की शांति और उनके तर्पण के निमित्त श्राद्ध किया जाता है। यहां श्राद्ध का अर्थ श्रद्धा पूर्वक अपने पितरों के प्रति सम्मान प्रगट करने से है। श्राद्ध पक्ष 15 दिनों की अवधि का होता है। हिंदू धर्म में श्राद्ध का विशेष महत्व होता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार जब सूर्य का प्रवेश कन्या राशि में होता है तो, उसी दौरान पितृ पक्ष मनाया जाता है। पितरों की आत्मा की शांति के लिए पितृ पक्ष में तर्पण और पिंडदान को सर्वोत्तम माना गया है।
क्यों करें श्राद्ध ?
श्राद्ध , आने वाली संतति को अपने पूर्वजों से परिचित करवाते हैं। जिन दिवंगत आत्माओं के कारण पारिवारिक वृक्ष खड़ा है, उनको स्मरण करने के ये 15 दिन होते है।
हर सभ्यता में है श्राद्धपक्ष
ऐसा नहीं है कि केवल हिन्दुओं में ही मृतकों को याद करने की प्रथा है, इसाई समाज में निधन के 40 दिनों बाद एक रस्म की जाती है जिसमेंसामूहिक भोज का आयोजन होता है।इस्लाम में भी 40 दिनों बाद कब्र पर जाकर फातिहा पढ़ने का रिवाज है। बौद्ध धर्म में भी ऐसे कई प्रावधानहै।तिब्बत में इसे तंत्र-मंत्र से जोड़ा गया है। पश्चिमी समाज में मोमबत्ती प्रज्जवलित करने की प्रथा है।
किस तिथि को करें श्राद्ध ?
जिस तिथि को जिसका निधन हुआ हो उसी दिन श्राद्ध किया जाता है। यदि किसी की मृत्यु प्रतिपदा को हुई है तो उसी तिथि के दिन श्रद्धा से याद किया जाना चाहिए । यदि देहावसान की डेट नहीं मालूम तो फिर भी कुछ सरल नियम बनाए गए हैं।
पिता का श्राद्ध अष्टमी और माता का नवमीपर किया जाना चाहिए। जिनकी मृत्यु दुर्घटना, आत्मघात या अचानक हुई हो , उनका चतुदर्शी का दिन नियत है। साधु- सन्यासियों का श्राद्धद्वादशी पर होगा। जिनके बारे कुछ मालूम नहीं , उनका श्राद्ध अंतिम दिन अमावस पर किया जाता है ।
श्राद्ध तिथि
2 सितंबर- पितृ पक्ष श्राद्ध आरंभ- पूर्णिमा-बुधवार
3 सितंबर- प्रतिपदा का श्राद्ध
4 सितंबर- द्वितीया का श्राद्ध
5 सितंबर- तृतीया का श्राद्ध
6 सितंबर- चतुर्थी का श्राद्ध
7 सितंबर- पंचमी का श्राद्ध
8 सितंबर-षष्ठी का श्राद्ध
9 सितंबर- सप्तमी का श्राद्ध
10 सितंबर- अष्टमी का श्राद्ध
11 सितंबर- नवमी का श्राद्ध
12 सितंबर-दशमी का श्राद्ध
13 सितंबर-एकादशी का श्राद्ध
14 सितंबर-द्वादशी का श्राद्ध
15 सितंबर-त्रयोदशी का श्राद्ध
16 सितंबर-चतुर्दशी का श्राद्ध
17 सितंबर – पितृ विसर्जन