गिरीश कुमार पाण्डेय प्रदेश अध्यक्ष के नेतृत्व में आंगनबाड़ी संघ 18 हजार मानदेय दिलाने के लिए प्रतिबद्ध- रतनबाला

आंगनबाड़ी कार्यकत्री एवं सहायिकाओं को मिलेगी ग्रेच्युटी
गिरीश कुमार पाण्डेय प्रदेश अध्यक्ष के नेतृत्व में आंगनबाड़ी संघ 18 हजार मानदेय दिलाने के लिए प्रतिबद्ध- रतनबाला
बस्ती। उत्तर प्रदेश का एक मात्र, ट्रेड यूनियन से पंजीकृत संगठन महिला आंगनबाडी कर्मचारी संघ लम्बे अर्से से आंगनवाडी कार्यकत्रियों और सहायिकाओं की कल्याण के लिए संकल्पित है। संगठन की तरफ में उच्च न्यायालय इलाहाबाद के लखनऊ पीठ में दायर याचिका संख्या 5429 महिला आंगनवाडी कर्मचारी संघ उत्तर प्रदेश बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और अन्य में उच्च न्यायालय का 15. दिसम्बर, 2023 को पारित किया गया आदेश कई मायने में ऐतिहासिक है। महिला आगनवाडी कर्मचारी संघ ही देश का पहला संगठन है जिसने ग्रेच्यूटी के लिए शासन से लेकर अदालत तक केस लड़ा और 6 महीने के कम समय में ग्रेज्यूटी दिलाने में कामयाब हुआ। संघ के सभी सदस्य और समस्त आंगनवाड़ी कार्यकत्री और सहायिका बहनों को रिटायरमेंट के बाद अब खाली हांथ घर नहीं जाना पड़ेगा, बल्कि ग्रेच्यूटी का लाभ पायेगी।
यह जानकारी देते हुए महिला आंगनबाड़ी कर्मचारी संघ बस्ती की जिलाध्यक्ष रतनबाला श्रीवास्तव ने एक विज्ञप्ति के माध्यम से बताया कि महिला आंगनबाड़ी कर्मचारी संघ उत्तर प्रदेश के प्रदेश कार्यकारिणी समिति की बैठक में संगठन की ओर से अधिवक्ता अभिलाषा पाण्डेय के अथक परिश्रम करने एवं सभी बाधाओ से पार पार पाते हुए जीत दिलाने पर आभार व्यक्त किया गया।
संगठन की तरफ में केस का पैरोकार श्रीमती मनीषा कन्नोजिया को भी आंगनबाड़ी बहनों ने बधाई दिया। संगठन प्रदेश के सभी कार्यरत एवं सेवा निवृत्त आंगनवाड़ी कार्यकत्री और सहायिकाओं को अब ग्रेच्युटी पाकर वह अपनी वृद्धावस्था को सुगमता में चला सकती हैं।
उन्होंने कहा कि महिला आंगनबाड़ी कर्मचारी संघ उत्तर प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष गिरीश कुमार पाण्डेय के द्वारा इनको कम से कम 18 हजार मानदेय दिलाने के लिए प्रयास जारी रहेगा।
उन्होंने कहा कि रिट याचिका सं ए-5429, 2023 के निर्णय के महत्वपूर्ण बिन्दुओं में से यह आदेश कार्यरत एवं सेवा निवृत्त हो चुकी सभी आंगनवाड़ी ‘मिनी आंगनबाडी सहायिकाओं पर लागू होगा, न्यायालय ने अपने आदेश में कहा है कि 4 माह में आदेश लागू करना होगा।
इस आदेश में यह कहा गया है कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार कार्यकत्रियों ध् सहायिकाओं पर कान्ट्रेट लेबर एक्ट 1970 और कोड आफ बेजेज 2019 और ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम 1972 लागू होता है। आदेश के अनुसार आंगनबाड़ी कार्यकत्री व सहायिकाएं अब कर्मचारी की परिभाषा में आती है।
उन्होंने कहा कि आदेश के अनुसार सरकार जो मानदेय देती है, वह वास्तव में वेजेज यानी पारिश्रमिक ही है। आंगनबाड़ी केंद्र सरकारी संस्था है और ग्रेच्युटी अधिनियम 1972 से आच्छादित है। खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 और राइट टू एजुकेशन एक्ट के अन्तर्गत विधि द्वारा स्थापित कानून समस्त कार्य करती है। संविधान की धारा 47 के अन्तर्गत आंगनबाड़ी कार्यकत्री ध् मिनी और सहायिका पर अब वैधानिक पद है। अब 5 साल की सेवा करने वाली समस्त रिटायर्ड और सेवारत आंगनबाडी को ग्रेच्युटी का लाभ मिलेगा।
अब उ.प्र. राज्य के अधीन आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों और सहायिकाओं का न्यूनतम मजदूरी सम्बन्धी समस्त प्राविधानों का लाभ मिलना चाहिये। न्यूनतम मजदूरी 17334 से 21215 तक है। इस प्रकार न्यूनतम भानदेय 18000 का रास्ता साफ हुआ है।
आगनबाड़ी को कानूनी अधिकार मिलने से मनमर्जी से हटाया नहीं जा सकता है। आगनबाड़ी कार्यकत्री और सहायिकाओं का पद वैधानिक पद घोषित होने से स्थाई किये जाने का रास्ता खुल गया है। अब आंगनबाड़ी एवं, सहायिका बहनों को इस खुले रास्ते के सम्बल को लेकर अपने अधिकारों के लिए संघर्ष का रास्ता चुनना ही होगा तब जाकर हम अपने अधिकारों को प्राप्त कर पायेंगे, सरकार अड़ंगा डालने से बाज नहीं आयेगी।

