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अक्षय तृतीया त्योहार,महत्व, ऐतिहासिक घटनाओं का विशेष दिन

अक्षय तृतीया त्योहार,महत्व, ऐतिहासिक घटनाओं का विशेष दिन

धर्म,ज्योतिष,और आस्था :-  माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया पर भगवान विष्णु के अवतार परशुराम जी का जन्म हुआ था। भगवान परशुराम भगवान विष्णु के छठे अवतार हैं।
उनका जन्म त्रेतायुग में हुआ था।परशुराम जी की जन्म वैशाख मास में शुक्ल पक्ष तृतीया को मनाई जाती है। इस दिन किया गया दान-पुण्य कभी क्षय नहीं होता।अक्षय तृतीया के दिन जन्म लेने की वजह से ही भगवान परशुराम की शक्ति भी अक्षय थी।

अक्षय तृतीया एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है- अक्षय यानी सुख, सफलता, आनंद की कभी कमी न हो और तृतीया यानी तीन। अक्षय तृतीया के दिन मांगलिक काम करना काफी शुभ माना जाता है। इसके अलावा इस दिन वाहन, प्रॉपर्टी आदि के अलावा सोना खरीदना काफी शुभ माना जाता है। सोने का खरीदना का अर्थ है कि आने वाला पूरा साल धन और सौभाग्य की प्राप्ति हो। जानिए अक्षय तृतीया का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व।

अक्षय तृतीया का शुभ मुहूर्त

तृतीया तिथि आरंभ – 03 मई, मंगलवार को सुबह 05:20 बजे से शुरू

अक्षय तृतीया समाप्त- 04 मई को सुबह 07:30 बजे तक

पूजा का शुभ मुहूर्त- 3 मई सुबह 05:39 बजे से लेकर दोपहर 12:18 बजे तक।

अक्षय तृतीया पर बन रहा खास संयोग

इस साल अक्षय तृतीया पर काफी खास संयोग बन रहा है। जो करीब पांच दशक बाद बन रहा है। दरअसल, इस बार अक्षय तृतीया के दिन रोहिणी नक्षत्र के साथ शोभन योग भी बन रहा है। इसके साथ ही अक्षय तृतीया मंगलवार के दिन होने के कारण रोहिणी योग का निर्माण कर रहा है।

इसके अलावा चंद्रमा और सूर्य उच्च राशि में विराजमान है। जहां चंद्रमा अपनी उच्च राशि वृषभ में होंगे और वहीं शुक्र अपनी उच्च राशि मीन राशि में होंगे। इतना ही नहीं गुरु अपनी स्वराशि मीन में और शनि अनी स्वराशि कुंभ में होंगे। ऐसे दुर्लभ संयोग करीब 50 साल बाद हो रहे है। यह संयोग काफी मंगलकारी माना जा रहा है।

अक्षय तृतीया पूजा विधि

आज के दिन सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान आदि कर लें। इसके बाद भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का ध्यान करें। इसके साथ ही दोनों की विधि-विधान से पूजा करें। इसके लिए एक चौकी पीले या लाल रंग का वस्त्र बिछाकर माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद भगवान विष्णु को पीले रंग के फूल और तुलसी चढ़ाएं।

वहीं मां लक्ष्मी को कमल या गुलाब के फूल चढ़ाएं। इसके साथ भोग में सत्तू, ककड़ी, भीगे चने की दाल अर्पित करें, साथ ही मिठाई का भोग लगा दें। अंत में घी का दीपक, धूप जलाकर विधिवत तरीके से लक्ष्मी चालीसा का पाठ करके आरती कर लें। पूजा के बाद ब्राह्मणों और गरीबों को भोजन कराएं। जिससे भगवान प्रसन्न होंगे।

अक्षय तृतीया का महत्व

हिंदू धर्म के अक्षय तृतीया का काफी अधिक महत्व है। क्योंकि इस दिन सूर्य और चंद्रमा उच्च राशि में होते हैं। जिसके कारण आज किए गए कार्य का शुभ फल जरूर प्राप्त होता है। इसके साथ ही जिन लोगों की शादी में ग्रह-नक्षत्रों का मिलान नहीं होता है उन लोगों को इस दिन शादी कराना शुभ माना जाता है। क्योंकि ऐसा करने से किसी भी प्रकार का दोष वर-वधु के जीवन में नहीं लगता है।

अक्षया तृतीया पर घटी थीं ये 10 पौराणिक घटनाएं- 

1. अवतरण : इस दिन भगवान नर-नारायण का सहित परशुराम और हयग्रीव का अवतार हुआ था। इसी दिन मां गंगा का अवतरण भी हुआ था। इसी दिन ब्रह्माजी के पुत्र अक्षय कुमार का जन्म भी हुआ था।

2. कुबेर को मिला खजाना : इसी दिन रावण के सौतेले भाई यक्षराज कुबेर को खजाना मिला था।

3. सुदाम कृष्ण का मिलन : इसी दिन श्रीकृष्ण के सखा सुदामा द्वारिका में भगवान कृष्ण से मिलने पहुंचे थे।

4. ऋषभदेवजी ने किया था व्रत का पारण : प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ ऋषभदेवजी भगवान के 13 महीने के कठिन उपवास का पारणा इक्षु (गन्ने) के रस से किया था।

5. महाभारत की रचना : अक्षय तृतीया के दिन से ही वेद व्यास और भगवान गणेश ने महाभारत ग्रंथ लिखना शुरू किया था।

6. युग प्रारंभ और समापन : इसी दिन सतयुग और त्रैतायुग का प्रारंभ हुआ था और द्वापर युग का समापन भी इसी दिन हुआ।

7. कनकधारा स्त्रोत की रचना : इसी दिन आदि शंकराचार्य ने कनकधारा स्तोत्र की रचना संपन्न की थी।

8. कुरुक्षेत्र में युद्ध समाप्त : इसी दिन महाभारत की लड़ाई खत्म हुई थी।

9. बद्रीदाथ धाम के खुलते हैं कपाट : इसी दिन उत्तराखंड में स्थित चार धामों में से एक बद्रीनारायण धाम के कपाट भी खुलते हैं।

10. जगन्नाथ का रथ बनना होता है प्रारंभ : इसी दिन भगवान जगन्नाथ का भव्य रथ बनाना प्रारंभ किया जाता है।

11. श्रीकृष्‍ण ने बताया था इस दिन का महत्व : इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर के पूछने पर यह बताया था कि आज के दिन जो भी रचनात्मक या सांसारिक कार्य करोगे, उसका पुण्य मिलेगा।

12. बांके बिहारीजी के दर्शन : अक्षय तृतीया के दिन ही वृंदावन के बांके बिहारी जी के मंदिर में श्री विग्रह के चरणों के दर्शन होते हैं।

ये कार्य करते हैं इस दिन 

1. इस दिन अविवाहित लोगों के लिए विवाह का अत्यंत शुभ मुहूर्त होता है।

2. इस शुभ मुहूर्त में नूतन गृह प्रवेश, गृह निर्माण, दुकान अथवा प्रतिष्ठान का शुभारंभ कर सकते हैं।

3. इस दिन नए आभूषण की खरीदी, नए व्यापार का आरंभ करना भी लाभदायी होता हैं।

5. अक्षय तृतीया के दिन तीर्थ स्नान तथा पितृ तर्पण का विशेष महत्व है। अत: इस दिन यह कार्य अवश्य करें।

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