आयुष की सभी चिकित्सा पद्धतियां स्वतंत्र है एमबीबीएस के साथ मिलना ठीक नहीं - www.martandprabhat.com
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आयुष की सभी चिकित्सा पद्धतियां स्वतंत्र है एमबीबीएस के साथ मिलना ठीक नहीं


बस्तीः केंद्रीय होम्योपैथिक परिषद के पूर्व सदस्य डॉ अनुरूद्ध वर्मा ने सरकार द्वारा एमबीबीएस कोर्स में छात्रों को आयुर्वेद, होम्योपैथी, यूनानी एवँ प्राकृतिक चिकित्सा की पढ़ाई को भी शामिल किये जाने के निर्णय  पर आपत्ति व्यक्त की है। इस संबंधमें उन्होंने प्रधानमंत्री एवं अन्य मंत्रियों को भेजे पत्र में कहा है कि आयुष में शामिल सभी पद्धतियां स्वतंत्र चिकित्सा पद्धतियाँ हैं।

इनका दर्शन, सिद्धांत, औषधि निर्माण की प्रक्रिया, कार्य करने का तरीका आदि एलोपैथिक पद्धति से भिन्न है तथा इनकी पढ़ाई के लिए अलग से साढ़े पांच वर्षीय पाठ्यक्रम की व्यवस्था है तथा इनके मेडिकल कॉलेज भी अलग से स्थापित हैं जिन्हें आयुष मंत्रालय से मान्यता प्राप्त है।

यह जानकारी रिसर्च सोसाइटी ऑफ होम्योपथी के अध्यक्ष एवँ आयुष चिकित्साधिकारी डॉ वी के वर्मा ने दी है। उन्होंने बताया पत्र लिखा गया है कि एमबीबीएस कोर्स की पढ़ाई में आयुष पद्धतिओं को शामिल किए जाने का कोई तर्कसंगत औचित्य नहीं प्रतीत होता है।

इस व्यवस्था से क्रॉस पैथी प्रैक्टिस को भी बढ़ावा मिलेगा जिससे रोगियों को लाभ के स्थान पर नुकसान की ज्यादा संभावना है। उन्होंने कहा है कि इससे आयुष पद्धतिओं के विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा तथा देश केवल एक पद्धति एलोपैथी का आधिपत्य स्थापित हो जाएगा तथा आयुष पद्धतियाँ गौड़ हो जाएंगी।

उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में देश में आयुष पद्धातिओं के विकास के लिए स्वतंत्र मंत्रालय स्थापित है और देश मेँ आयुष पद्धतिओं की लोकप्रियता में लगातार वृद्धि हो रही है इस प्रकार की व्यवस्था आयुष पद्धतियों की लोकप्रियता को प्रभावित करेंगी।

उन्होंने सरकार से देश एवं जनता के व्यापक हित में एमबीबीएस कोर्स की पढ़ाई में आयुष पद्धतिओं को शामिल किए जाने के निर्णय को वापस लिया जाने की मांग की है जिससे जनता आयुष पद्धतिओं का लाभ उठा सके और इनका विकास भी प्रभावित न हो।

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