कब है अष्टमी, कब पारायण है, सभी भ्रम का स्पष्ट समाधान
दशहरा आने वाला है ।नवरात्रि व्रत के पारण और अष्टमी,नवमी के तिथि को लेकर भ्रम हो रहा है कि कब अष्टमी का व्रत रहना और कब पारण है।
कई लोगो ने इस विषय पर प्रश्न पूछे है अतः इस विषय पर संपूर्ण विवरण भ्रम निवारण हेतु यह लेख प्रस्तुत है।
कब है सही तिथि
ऋषिकेश पंचांग के अनुसार सप्तमी तिथि शुक्रवार को 12:9 मिनट पर समाप्त हो रही है तत्पश्चात अष्टिमी लगेगी ।
नवरात्रि की अष्टमी को महाअष्टमी कहा जाता है जोकि अष्टमी 23 अक्टूबर शुक्रवार को 12:9 pm से शनिवार को 11:28 तक रहेगी । इसलिए अष्टमी का व्रत शनिवार को रखा जायेगा, लेकिन जो रात्रि पूजा जिसे निशापुजा कहते है करना चाहते है उनको शुक्रवार को ही रात्रि में ही पूजा करनी चाहिए।
25 अक्टूबर शनिवार को सुबह 11:28 मिनट से नवमी तिथि लग जाएगी जो कि रविवार को 11:14 मिनट तक सुबह रहेगी तत्पश्चात दशमी तिथि लगेगी।जो दूसरे दिन 26 अक्टूबर सोमवार को दिन में 11 बजकर 33 मिनट तक रहेगी. अतः 25 अक्टूबर को ही विजयदशमी पर्व का उत्सव मनाया जाएगा।
कन्या पूजन
इस वर्ष शारदीय नवरात्रि में कन्या पूजन या कुमारी पूजा 24 अक्टूबर को करना है. हालांकि महाष्टमी और महानवमी दोनों ही तिथियों को कन्या पूजन किया जाता है। हवन आदि कार्यक्रम नवमी में ही संपन्न होंगे।कुछ लोग नवमी का व्रत भी रखते है उनका पाराण दशमी में सोमवार को सुबह होगा।
दशहरा या विजयादशमी
शारदीय नवरात्रि की दशमी तिथि का प्रारंभ 25 अक्टूबर को सुबह 07 बजकर 41 मिनट से हो रहा है, जो 26 अक्टूबर को सुबह 09 बजे तक है. ऐसे में विजयादशमी या दशहरा का पर्व 25 अक्टूबर दिन रविवार को मनाया जाएगा।
दुर्गा मूर्ति विसर्जन
मां दुर्गा की मूर्ति का विसर्जन सोमवार को 26 अक्टूबर को होगा. उस दिन आपको सुबह 06:29 बजे से सुबह 08 बजकर 43 बजे के मध्य दुर्गा विसर्जन किया जा सकता है।