नीतिगत स्थानान्तरण निरस्त करने का फैसला वापस ले सरकार वरना मुख्मंत्री आवास पर होगा अनशन व आत्मदाह – समाजसेवी चंद्रमणि पांडे जी

बस्ती :- वर्षों से एक ही केन्द्र पर सीनियर चिकित्सकों को दरकिनार कर बने प्रभारी अधीक्षकों की मनमानी समाप्त करने हेतु समाजसेवी चन्द्रमणि पाण्डेय के काफी प्रयास के बाद जिलाधिकारी बस्ती के निर्देश पर मुख्य चिकित्साधिकारी बस्ती द्वारा बीते 14/10/2020को किये गये एक दर्जन अधीक्षकों के स्थानांतरण को तथ्यों को संग्यान में लिए बिना निरस्त किये जाने को न्याय का हनन बताते हुऐ श्री पाण्डेय ने नीतिगत स्थानांतरण को रद्द करने के फैसले को वापस लिए जाने की मांग करते हुए ज्वाइंट मजिस्ट्रेट के माध्यम से मुख्यमंत्री, राज्यपाल व स्वास्थ्य मंत्री को भेजे ग्यापन में कहा कि बस्ती जनपद के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र हर्रैया सहित उन सभी प्रभारी अधीक्षकों को हम लोग काफी दिनों से स्थानांतरित करने की मांग करते चले आ रहे थी जो कि तीन वर्ष के सापेक्ष पांच वर्ष से एक ही केन्द्र पर अधीक्षक पद पर तैनात थे।कारण जहां इनका स्थानान्तरण नीतिगत आवश्यक था वहीं जनहित में भी जरूरी था।कारण इन अधीक्षकों की मनमानी चरम पर थी।
उन्होने बताया कि सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र हर्रैया के प्रभारी अधीक्षक को समाजवादी सरकार में स्थानीय विधायक/मंत्री राजकिशोर सिंह के दबाव में सीनियर चिकित्सकों को दरकिनार कर अधीक्षक बनाया गया था तब से आज तक लगातार न केवल 6वर्षों से वो हर्रैया टिके हुए हैं।अपितु इनके द्वारा स्वास्थ्य केन्द्र पर जमकर मनमानी जारी है अधीक्षक महोदय की कृपा से जहां प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र काशीपुर की चिकित्सिका डा.नीलम वर्षों से बिना ड्यूटी के ही वेतन ले रही हैं।
वहीं सीएचसी हर्रैया के अन्तर्गत तीन प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र काशीपुर, इंदौली,बेलभरिया चिकित्सक विहीन है कारण वहां के चिकित्सकों को अधीक्षक महोदय ने मौखिक तौर पर हर्रैया सम्बद्ध कर रखा है इतना ही नहीं अधीक्षक महोदय हताहतों का बिना सुविधाशुल्क लिए मेडिकल तक नहीं बनाते उदाहरणार्थ बीते 19अगस्त क गोली के शिकार युवक सूर्यप्रकाश त्रिपाठी का न तो मेडिकल बनाया गया न ही रेफर कागज पर उसे दर्ज किया गया ।अधीक्षक महोदय आशाओं का भी भुगतान बिल बिना सुविधाशुल्क नहीं पास करते फलतःअनेक केन्द्रों पर राज्य सरकार द्वारा 750रु.प्रतिमाह बढाया गया प्रोत्साहन राशि कई माह से बकाया है।सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र की आशाओं का मानदेय तो अप्रैल 2019से बकाया है।
अधीक्षक महोदय ने आज तक केन्द्र पर कूडा निष्तारण की व्यवस्था भी सुनिश्चित नहीं किया फलताः कचडा ही नहीं कोरोना टेस्ट किट भी अस्पताल गेट पर ही बिखरा पडा रहता है जिससे जहां आमजनता प्रभावित है वहीं सरकार की भी छवि धूमिल हो रही है जिसके सन्दर्भ कई बार शिकायत के उपरांत जिलाधिकारी बस्ती के निर्देश पर बीते 14/10/2020को मुख्य चिकित्साधिकारी बस्ती ने जनपद के 12अधीक्षकों का स्थानान्तरण कर दिया ताकि वर्षों से स्थापित इनके लूट के साम्राज्य पर विराम लगे किन्तु महज एक पखवाड़े के अन्दर कल 27/10/2020को शासन द्वारा नीतिगत स्थानांतरण को निरस्त कर दिया गया जो कि न्याय का दमन है क्या सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र जनता हित में स्थापित है या अधीक्षक हित म़े यदि जनता हित में स्थापित है तो जनहित में किया गया स्थानांतरण निरस्त क्यों किया गया। श्री पाण्डेय ने एक पखवाड़े का अल्टीमेटम देते हुए कहा है कि उक्त तथ्यों पर गम्भीरता से विचार करते हुए बीते 14/10/2020को जनहित में किये गये नीतिगत स्थानांतरण को दस दिनों में बहाल कराते हुए यदि आशा कार्यकर्ती का समस्त भुगतान सुनिश्चित नहीं कराया गया तो न्याय के दमन के विरुद्ध न केवल मुख्यमंत्री आवास पर आमरण अनशन होगा अपितु जरूरत पडा तो जनहित में आत्मदाह भी होगा।जिसकी जिम्मेदारी उ.प्र.सरकार की होगी।

