हमारी मातृभाषा हिंदी- सोनिया
संतकबीरनगर:- राजकीय कन्या इंटर कॉलेज खलीलाबाद संत कबीर नगर की व्यायाम शिक्षिका सोनिया ने बताया हिंदी भारत में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है और इसे राजभाषा का दर्जा प्राप्त है। 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा में हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया गया था और हमें इसके प्रचार-प्रसार को बढ़ावा देना होगा ।सरकारी कामकाज में हिंदी को प्राथमिकता देनी होगी हिंदी हमारी मातृभाषा है जिसे हम गर्व के साथ स्वीकार करते हैं जीवन में भाषा का महत्व होता है और भाषा के माध्यम से विचारों का आदान प्रदान करते हैं। एक भाषा हमारे संस्कार का विकास भी कर सकती हैं अपनी भाषा का सम्मान करना हमारा कर्तव्य है विभिन्न विविधताओं में एक भाषा ही एक ऐसा माध्यम है जो एकता का आधार बनते हैं और हम सभी को इस एकता के साधन का सम्मान करना चाहिए हमारे देश का सांस्कृतिक इतिहास बहुत ही गौरवशाली रहा है और अपनी संस्कृति को समझने के लिए हमें हिंदी का जानना अति आवश्यक है।
हिंदी में कई ऐसी रचनाएं हैं जिन्हें पढ़कर अपने जीवन में बदलाव ला सकता है इस तरह की रचनाओं को पढ़ने के लिए हमें हिंदी का सीखना अत्यंत आवश्यकता है और इस प्रकार देश के विकास में हिंदी का मजबूत होना आवश्यक है। वर्तमान समय में हिंदी की जो स्थिति है उसे ध्यान में रखते हुए हमें इसका प्रचार प्रसार करने के लिए कुछ उपाय करना चाहिए जैसे हिंदी बोलने की शुरुआत हमें अपने घर से ही करनी चाहिए ।और ऐसे लोग जिन्हें लगता है कि हिंदी बोलने से उनको नीची नजरे से देखा जाएगा हम ऐसे लोगों को हिंदी बोलने के लिए प्रेरित कर सकते हैं
साक्षात्कार में अंग्रेजी भाषा को अनिवार्य कर दिया गया है उसी तरह हिंदी भाषा को भी महत्व दिया जाना चाहिए हम विद्यालय में अपने छात्र छात्राओं को हिंदी तथा क्षेत्रीय भाषा के महत्व तथा उसके इतिहास को बताना चाहिए। और उन्हें हिंदी में लिखने और बोलने प्रेरित करना चाहिए। सरकारी दफ्तरों में सारे काम हिंदी में होने चाहिए मीटिंग में presentation की पहली भाषा हिंदी रखनी चाहिए। तभी हिंदी की स्थिति में सुधार हो सकता है।
हिंदी दिवस मनाने का उद्देश्य है हिंदी भाषा वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देना हिंदी दिवस, हिंदी के लिए जश्न मनाने का दिन है हिंदी हमारी मातृभाषा है। और हमें इसका आदर और मूल्य समझना चाहिए।
इस मौके पर उन्होंने एक कविता लोगो से साझा की
एक डोर में सबको जो है बांधती वह हिंदी है, हर भाषा को सगी बहन जो मानती वह हिंदी हैं।
भरी पूरी हो सभी बोलियां, यही कामना हिंदी है, गहरी हो पहचान हमारी यही साधना हिंदी है।
विदेशी रहे ना रानी यही भावना हिंदी है,
तत्सम, तद्भव, देश विदेशी सब रंगों को अपनाते है,
जैसे आप बोलना चाहे वही मधुर मन भर ती
नए अर्थ के रूप धरती,
हर प्रदेश की माटी पर खाली पीली पोम मारती, मुंबई की चौपाटी पर
चौरंगी, चली नवेली, हिंदी है बहुत-बहुत तुम हमको लगती भालोबाशी हिंदी है
।उच्च वर्ग की प्रिय अंग्रेजी हिंदी जन की बोली है
वर्ग भेद को खत्म करेगी हिंदी वहां हमजोली है ,
सागर में मिलती धाराएं हिंदी सब की संगम है ,
शब्द ,ना द ,लिपि में भी आगे एक भरोसा अनुपम है
गंगा कावेरी की धारा साथ मिलाते हिंदी है।
हिंदी मेरी भाषा है हिंदी मेरी आशा है
हिंदी का उत्थान करना यही मेरी जिज्ञासा है
हिंदी की बोली अनमोल एक शब्द के कई विलोम
हिंदी, हिंद हिमालय पर शोभित हर्षित होते बोल के मीठी बोली अद्भुत वाले संग बहती प्रेम की भाषा है
हिंदी का उत्थान करना यही मेरी जिज्ञासा है
हिंदी में सब काम करेंगे हिंदी का हम नाम करेंगे हिंदी सत्य वचन की देवी पथ प्रदर्शक हम बनेंगे
जगमग ज्योति जले हिंदी की यही कलम का ढांचा है।