Monday, February 17, 2025
बस्ती

आपको सभी को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 

आपको सभी को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 

१) है गणतन्त्र दिवस मन भावन ।

मौसम लगता अजब सुहावन ।

चारो तरफ तिरंगा फहरे ।

मन सागर में उठती लहरें ।

दूर हो गया तम का डेरा ।

आया सुख का मृदुल सवेरा ।

देश प्रेम का अलख जगा है ।

आतंकी उन्माद भगा है ।

संविधान का मान बढ़ायें ।

भारत वर्ष महान बनायें ।

देश के लिए जिए मरेंगे ।

हर सपना साकार करेंगे ।

हम अपना दायित्व निभायें ।

भारत मां पर बलि – बलि जायें ।

मन से करें कलुषता दूर ।

रहे मुलायम बने न क्रूर ।

नभ तक फहरे सदा तिरंगा ।

रहे न कोई भूखा नंगा ।

धरती पर न रहे गरीबी ।

हर कोई बन जाय करीबी ।

संविधान का हो सम्मान ।

हर चेहरे पर हो मुस्कान ।

गायें सदा राष्ट्र का मान ।

करें राष्ट्र का नव उत्थान ।

राष्ट्रीय यह पर्व हमारा ।

हमको है प्राणों से प्यारा ।

“वर्मा” जीवन सफल बनायें ।

भारत में खुशहाली लायें ।

२) गणतन्त्र का जश्न मनाओ।

गीत एकता के तुम गाओ।

हम केवल भारतवासी है।

भारत वर्ष हमारा है।

एक रहें है एक रहेंगे।

यही हमारा नारा है।

नफरत की दीवार ढहाकर,

हर मानव को गले लगाओ।

गीत एकता के तुम गाओ।

गणतन्त्र का जश्न मनाओ।

कितने प्राणों की बलि देकर।

पायी है हमने आजादी।

हमें देश हित में है जीना।

कर दो चारो तरफ मुनादी।

बने राष्ट्र मजबूत हमारा।

तुम ऐसा आदर्श दिखाओ। 

गणतन्त्र का जश्न मनाओ।

गीत एकता के तुम गाओ।

सिर्फ कर्म की पूजा करना।

अपना लक्ष्य बनाना होगा।

  आतंकी उन्माद मिटाने।

तुमको आगे आना होगा।

अपने कर्म प्रभा मण्डल से,

इस धरती को स्वर्ग बनाओ।

गणतन्त्र का जश्न मनाओ।

गीत एकता के तुम गाओ।

गीत एकता के तुम गाओ।

३) आज है गणतन्त्र का मन में लाओ हर्ष।

अपने भारत वर्ष का करो सदा उत्कर्ष।

बंधो एकता-सूत्र में करो न तुम अलगाव। 

वर्मा लाओ हृदय में देश-प्रेम का भाव।

वर्मा तुम कर्तव्य के प्रति नित रहो सतर्क।

मानव-मानव में करो लेश मात्र मत फर्क।

जो शहीद इस देश के लिए हुए कुर्बान।

अन्तर्मन से दो उन्हें श्रद्धा औ सम्मान।

संध्या है गणतन्त्र का मन को करो विभोर।

कर्मठता से ले चलो देश प्रगति की ओर।

४) पहले तो थे हम परतन्त्र ।

लेकिन अब हो गये स्वतन्त्र । 

अपने मन में खुशियाँ लेकर । 

आज मनाएँ हम गणतन्त्र । 

श्रम का करिए जाप हमेशा । 

श्रम ही है जीवन का मंत्र । 

सत्य अहिंसा के सम्मुख तो । 

नहीं टिकेगा कोई यंत्र । 

यही कामना करता “वर्मा” । 

देश प्रेम का पहनो जंत्र । 

करो देश को सदा समुन्नत । 

यह जीवन का स्वर्णिम मंत्र । 

डा. वी. के. वर्मा

_सामाजिक कार्यकर्ता/_

_आयुष चिकित्साधिकारी,_

_जिला चिकित्सालय बस्ती।_

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