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जयन्ती पर याद किये गये प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद

जयन्ती पर याद किये गये प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद

राजेन्द्र बाबू के जीवन से प्रेरणा ले नई पीढी- मंजू पाण्डेय

बस्ती । देश के प्रथम राष्ट्रपति, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को उनकी जयंती पर याद किया गया। मंगलवार को महिला कांग्रेस की पूर्व जिलाध्यक्ष एवं उ.प्र. कांग्रेस कमेटी श्रम प्रकोष्ठ की प्रदेश महासचिव मंजू पाण्डेय के संयोजन में जनपद बार एसोसिएशन के सभाकक्ष में आयोजित गोष्ठी में वक्ताओं ने डॉ. राजेन्द्र प्रसाद के व्यक्तित्व पर विस्तार से प्रकाश डाला। मंजू पाण्डेय ने कहा कि राजेन्द्र प्रसाद, भारतीय राजनीति के एक महान नेता और प्रेरणास्त्रोत थे।

उनकी जयंती, 3 दिसम्बर को, न केवल उनके योगदान को याद करने का अवसर है, बल्कि ये हमें उनके जीवन से प्रेरणा लेने का भी समय है। डॉ. राजेन्द्र प्रसाद का जीवन सरलता, समर्पण तथा राष्ट्रप्रेम की मिसाल रहा है। उनका जन्म 3 दिसम्बर 1884 को बिहार के जीरादेई गाँव में हुआ था। एक साधारण परिवार में जन्म लेने के बाद भी उन्होंने शिक्षा और कड़ी मेहनत से खुद को एक महान नेता के रूप में स्थापित किया। उन्होंने पटना से अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की और बाद में उच्च शिक्षा के लिए कोलकाता तथा फिर ब्रिटेन गए।

जनपद बार के मंत्री और कांग्रेस विधि प्रकोष्ठ के प्रदेश सचिव आशुतोष पाण्डेय ने कहा कि डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महात्मा गांधी के साथ मिलकर भाग लिया और गांधीजी के आंदोलनों का समर्थन किया। इस दौरान वो कई बार जेल भी गए। उनका व्यक्तित्व हमेशा अहिंसा, सत्य, और भारतीय संस्कृति के प्रति गहरी श्रद्धा से प्रेरित रहा। संविधान के निर्माण में उनका विशेष योगदान रहा।

गोष्ठी में कांग्रेस नेता अवधेश सिंह और डा. वाहिद सिद्दीकी ने कहा कि राष्ट्रपति बनने के बाद भी राजेन्द्र बाबू के अंदर सत्ता का कोई अहंकार नहीं था। वे हमेशा अपनी सरलता और सादगी के लिए प्रसिद्ध थे। उनकी अध्यक्षता में भारत में कई सामाजिक, सांस्कृतिक तथा राजनीतिक बदलाव हुए। डॉ. राजेंद्र प्रसाद के लिए शिक्षा केवल पुस्तकों तक ही सीमित नहीं थी, बल्कि वो जीवन के हर पहलू से कुछ नया सीखने में विश्वास रखते थे। ऐसे महान पुरूष को सदैव स्मरण रखने की जरूरत है जिससे युवा पीढी इससे प्रेरणा ले।

जयन्ती अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्य रूप से एडवोकेट पारसनाथ तिवारी, अविनाश कुमार शुक्ल, प्रदीप पाण्डेय, राकेश पाण्डेय, के.के. उपाध्याय, शीतला प्रसाद पाण्डेय, ऋतुराज कुमार पाल, सेराज अहमद, विजय श्री मिश्रा के साथ ही अनेक लोग उपस्थित रहे।

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